डीएनए हिंदीः भारतीय संस्कृति में नदियों का विशेष महत्व है. हिंदू धर्म में गंगा नदी को गंगा मां (Ganga Dussehra 2023) के रूप में माना जाता है. साल भर में कई विशेष अवसरों पर लोग गंगा (Ganga Dussehra 2023) में डुबकी लगाते हैं. धार्मिक मान्यातओं में अमावस्या और पूर्णिमा तिथि पर गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है. ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष दशमी को गंगा दशहरा (Ganga Dussehra 2023) के रूप में बहुत ही खास माना जाता है. इस दिन गंगा स्नान (Ganga Dussehra Snan) का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है. इस साल गंगा दशहरा (Ganga Dussehra 2023) 30 मई 2023 को मनाया जाएगा.
हिंदू धर्म (Hindu Dharma) की मान्यताओं के अनुसार, गंगा स्नान (Ganga Dussehra Snan) से मनुष्य के सभी पाप कट जाते हैं. पृथ्वी पर सदियों से मनुष्य गंगा में पाप धो रहे हैं. वर्तमान में जल प्रदुषण के कारण भी नदियां प्रदूषित हो रही हैं. गंगा नदी में भी कई जगहों पर गंदगी भी गिरती है. हालांकि गंगा जल को बिल्कुल शुद्ध और पवित्र माना जाता है. हिंदू धर्म (Hindu Dharma) के लोग गंगा जल (Gangajal) को शुद्ध मानते हैं लेकिन गंगा नदी का जल वास्तव में भी सबसे अच्छा माना जाता है. दुनिया भर की सभी नदियों में से गंगा नदी (Ganga Dussehra 2023) है जिसके पानी में सबसे ज्यादा ऑक्सीजन की मात्रा होती है. गंगा जल खराब भी नहीं होता है.
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क्यों गंगा को मानते हैं पवित्र?
भारतीय हिंदू संस्कृति में गंगा को पवित्र मानने के पीछे कई कारण हैं. कई लोग इस नदी के पानी की खासियत की वजह से गंगा को पवित्र मानते हैं तो वहीं गंगा नदी और गंगा जल को पवित्र मानने का धार्मिक कारण भी है. हिंदू संस्कृति में गंगा का बहुत ही खास महत्व है हिंदू धर्म में व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके मुंह में गंगा जल डालते हैं क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इसके बिना उसे मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है. हालांकि की गंगा जल को पवित्र मानने के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही वजह हैं. तो चलिए जानते हैं.
क्या है गंगा जल को पवित्र मानने का धार्मिक कारण
हिंदू धर्म ग्रंथों में गंगा को मोक्ष के लिए महत्वपूर्ण बताया है. देवता भी मोक्ष की प्राप्ति के लिए गंगा जल का सेवन करते थे. गंगा की उत्पत्ति जगत के परमपिता ब्रह्मा के कमंडल से हुई है. गंगा ही वह नदी है जो स्वर्ग में बहती है. गंगा हिमालय की पुत्री और मां पार्वती की बहन हैं. गंगा को भगवान विष्णु की दूसरी पत्नि के रूप में भी माना जाता है. गंगा नदी के जल को इन्हीं धार्मिक महत्व के कारण पवित्र माना जाता है. इसी कारण यह मान्यता है कि गंगा में स्नान से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.
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गंगा जल के पवित्र होने का वैज्ञानिक कारण
गंगा के जल में पर्याप्त मात्रा में मिनरल्स होते हैं. गंगा के पानी में मौजूद मिनरल्स शरीर के लिए बहुत ही जरूरी होते हैं. गंगा जल में बैक्टीरिया को खाकर दूर करने वाले वायरस होते हैं. गंगा जल में मौजूद बैक्टीरियोफ़ेज वायरस सभी बैक्टीरिया को दूर कर देता है. गंगा नदी कई जड़ी-बूटी के मार्गों से होकर गुजरती है जहां पर इनके गुण गंगा में मिलकर गंगा जल को शुद्ध बनाती है.
कभी खराब नहीं होता गंगा जल
पानी को किसी बोतल या बर्तन में लंबे समय के लिए भर कर रख दिया जाए तो यह खराब हो जाता है. पानी ज्यादा समय तक रखा रहे तो इसमें से बदबू आने लगती है. हालांकि गंगा जल खराब नहीं होता है. गंगा जल को लोग पूजा घरों में रखते हैं यह लंबे समय तक रखने के बाद भी बिल्कुल साफ और शुद्ध होता है. इसकी शुद्धता के पीछे गंगा के जल में मिलने वाला बैक्टीरियोफ़ेज वायरस ही कारण है जो जल की गंदगी और बैक्टेरिया को कम करता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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इस वजह से गंगा जल कभी नहीं होता है खराब, धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही कारणों से माना जाता है पवित्र