डीएनए हिंदीः भाद्र शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से अनंत चतुर्दशी तक गणेश जी की पूजा की जाती है. इस दिन ही गणपति जी का जन्म हुआ था. क्या आपको पता है कि देश के वो चार गणेश सिद्ध मंदिर कौन से हैं.
मान्यता के अनुसार इन मंदिरों में कम से कम एक बार जरूर जाना चाहिए. कहा जाता है कि यहां मौजूद बिघ्नहर्ता के दर्शन से कई मनोकामनाएं और कष्ट दूर हो जाते हैं. ये चार चिंतामन गणेश मंदिर रणथंभौर, सवाई माधोपुर, उज्जैन के अवंतिका, गुजरात के सिद्धपुर और सीहोर में स्थित हैं. इन चारों मंदिरों को चिंतामन गणेश मंदिर के नाम से ही जाना जाता है.
इन चारों मंदिरों से कई कहानियां जुड़ी हुई हैं. इनमें से एक मंदिर का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने करवाया था और दूसरे का निर्माण स्वयं रामचन्द्र ने करवाया था.
सीहोर में चिंतामन गणेश मंदिर
राजा विक्रमादित्य ने भोपाल से 2 किमी दूर सीहोर में चिंतामन गणेश मंदिर बनवाया था. मंदिर में स्थापित मूर्ति स्वयं भगवान गणेश ने राजा विक्रमादित्य को भेंट की थी. गणेश जी के निर्देश पर राजा विक्रमादित्य ने यह मंदिर बनवाया और वहां गणपति की मूर्ति स्थापित की.
पौराणिक कथा के अनुसार राजा विक्रमादित्य ने एक बार सपने में गणेशजी को देखा था. गणेश ने राजा को पार्वती नदी के तट पर फूल के रूप में गणेश की एक मूर्ति की उपस्थिति का संकेत दिया. इसके बाद उन्होंने उस मूर्ति के साथ मंदिर बनाकर खड़ा करने का आदेश दिया. स्वप्न के अनुसार राजा विक्रमादित्य ने पुष्प गणेश उठाया और यात्रा पर निकल पड़े, रास्ते में रात होने पर उन्होंने पुष्प वहीं छोड़ दिया और आराम करने लगे. तभी उस फूल ने गणपति का रूप धारण कर लिया और जमीन पर बैठ गया. राजा के रक्षकों ने मूर्ति को लाठियों से रथ से बांध दिया और उसे जमीन से बाहर निकालने की कोशिश की लेकिन असफल रहे. तब विक्रमादित्य ने वहां गणपति की मूर्ति स्थापित कर एक मंदिर बनवाया.
कहा जाता है कि इस मंदिर में स्थापित भगवान गणेश की आंख कभी हीरे से बनी थी. लेकिन यह चोरी हो गया है और इसमें चांदी की आंख लगी हुई है. ज्ञात हो कि हीरे की आंख चोरी हो जाने के बाद गणपति की आंखों से दूध बहने लगा था.
इस मंदिर में भक्त उल्टा स्वस्तिक बनाकर मन्नत मांगते हैं. बाद में जब मनोकामना पूरी हो जाए तो यहां आकर सीधा स्वस्तिक बनाएं .
चिंतामन गणेश मंदिर, उज्जैन
कहा जाता है कि त्रेता युग में स्वयं रामचन्द्र ने इस स्थान पर चिंतामन गणेश की मूर्ति स्थापित की थी. कथा के अनुसार वनवास के दौरान एक बार सीता को प्यास लगी. तब पहली बार लक्ष्मण ने राम की आज्ञा का पालन नहीं किया. लक्ष्मण ने पानी ढूंढने के आदेश की अनदेखी कर दी. राम को अपनी दूरदर्शिता से पता चल गया कि वहां की हवा गंदी है. इस समस्या के समाधान के लिए राम ने स्वयं उस स्थान पर चिंतामण मंदिर की स्थापना की. बाद में लक्ष्मण ने उस मंदिर के बगल में एक तालाब बनवाया. इसे लक्ष्मण बावड़ी के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर में तीन गणपति प्रतिमाएं स्थापित हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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गणेशजी के ये हैं 4 सिद्ध मंदिर, एक के भी दर्शन से पूरी हो जाएगी हर मनोकामनाएं