अगले 45 दिनों तक चलने वाले उत्सव महाकुंभ मेला का आगाज आज से हो गया लेकिन शाही स्नान मकर संक्रांति पर होंगे. प्रयागराज के महाकुंभ में दुनिया भर से 40 करोड़ से ज़्यादा श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. यह उत्सव 13 जनवरी, 2025 (पौष पूर्णिमा) से शुरू होकर 26 फ़रवरी, 2025 (महा शिवरात्रि) को समाप्त होगा.
शाही स्नान एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जिसमें भक्त और पवित्र पुरुष नदी के पवित्र जल में स्नान करते हैं. ऐसा माना जाता है कि महाकुंभ मेले के दौरान स्नान करने से पाप धुल जाते हैं और मोक्ष मिलता है और जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है. शाही स्नान में गंगा में डुबकी लगाने का पहला हक 13 अखाड़ों को होता है, जूलूस के साथ 13 अखाड़े सूर्य के उत्तरायण होने पर स्नान के लिए पहुंचेंगें.
कब-कब होंगे शाही स्नान
पहला शाही स्नान मकर संक्रांति (14 जनवरी), मौनी अमावस्या (29 जनवरी) और बसंत पंचमी (3 फरवरी) पर होगा. सभी 13 अखाड़े इस दिन सबसे पहले संगम तट पर 'राजसी स्नान' करेंगे. इस क्रम में संन्यासी, बैरागी और उदासीन श्रेणियां शामिल हैं. प्रत्येक स्नान दिवस के लिए विशिष्ट अखाड़े निर्धारित किए गए हैं, तथा जुलूसों के लिए मार्ग निर्धारित किए गए हैं.
13 अखाड़ों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है
संन्यासी, बैरागी और उदासीन. स्नान के लिए जुलूस त्रिवेणी मार्ग (सेक्टर 20) से दो पंटून पुलों के माध्यम से संगम नोज क्षेत्र में प्रवेश करेगा और डुबकी लगाने के बाद दो अन्य पंटून पुलों (अक्षयवट और जगदीश) से वापस लौटेगा.
मकर संक्रांति पर शाही स्नान करने वाला पहला 'अखाड़ा' कौन होगा
मकर संक्रांति पर शाही स्नान करने वाला पहला 'अखाड़ा' श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्री पंचायती अटल अखाड़ा होगा, उसके बाद निरंजनी और आनंद होंगे. शाही स्नान करने वाला अगला अखाड़ा जूना अखाड़ा, पंचनाम धशनम आवाहन अखाड़ा और शंभू पंच अग्नि अखाड़ा होगा. उनके बाद तीन अनी अखाड़े होंगे: निर्मोही, दिगंबर और निर्वाणी. उनके बाद 'नया उदासीन' और 'बड़ा उदासीन' आएंगी.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी सामान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)
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महाकुंभ में पहला शाही स्नान कल, 13 अखाड़ों में सबसे पहले संगम में कौन उतरेगा?