ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह दोष तब होता है जब वर और वधू दोनों की नाड़ी एक ही हो. नाड़ियाँ तीन प्रकार की होती हैं जो क्रमशः आदि नाड़ी, मध्य नाड़ी और अंत्य नाड़ी हैं. यदि कुंडली मिलान के दौरान नाड़ी या भकूट दोष पाया जाता है, तो विवाह के बाद समस्याएं आती हैं. ऐसे मामलों में, नाड़ी दोष मौजूद होने पर शादी न करने की सलाह दी जाती है.

हिंदू परंपरा के अनुसार, जब एक लड़का और लड़की की शादी होती है, तो बेहतर भविष्य के लिए उनकी कुंडली मेल खाती है. लड़के और लड़की की कुंडली मिलाते समय कई दोष देखे जाते हैं लेकिन मुख्य रूप से कुंडली में मांगलिक दोष, नाड़ी दोष और गण दोष को समझना बहुत जरूरी है. यदि किसी लड़के या लड़की की कुंडली में नाड़ी दोष मौजूद हो तो विवाह के बाद उन्हें जीवन भर परेशानियों, दुखों, परेशानियों आदि का सामना करना पड़ता है. कुंडली में नाड़ी दोष होने पर विवाह नहीं करना चाहिए.

हिंदू धर्म में कुल 16 संस्कार होते हैं

गर्भाधान से लेकर मृत्यु तक कुल 16 संस्कार होते हैं. इन संस्कारों में विवाह बहुत महत्वपूर्ण है. विवाह के समय, यह जानने के लिए कुंडली का मिलान किया जाता है कि लड़के और लड़की के संभावित रिश्ते में कौन से दोष या ग्रह मौजूद हैं. यही कारण है कि सुखी जीवन के लिए 36 में से कम से कम 18 अंक प्राप्त करना नितांत आवश्यक है.

कुंडली मिलान में मांगलिक दोष, गण दोष और नाड़ी दोष प्रमुख हैं. अगर किसी लड़के या लड़की की कुंडली में नाड़ी दोष हो तो कहा जाता है कि उन्हें शादी नहीं करनी चाहिए. पंडित श्रीधर शास्त्री कहते हैं कि अगर किसी लड़के या लड़की की कुंडली में नाड़ी दोष है तो उसकी कुंडली के नक्षत्र का मूल्यांकन किया जाता है. यदि दोनों का जन्म एक ही नक्षत्र में हुआ हो तो नाड़ी दोष नहीं होता है.

नाड़ी दोष क्या है?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में 3 प्रकार की नाड़ियां बताई गई हैं. यह नाड़ी हर व्यक्ति की कुंडली में अलग-अलग होती है. पाणिग्रहण संस्कार में नाड़ी दोष का विचार किया जाता है. यदि लड़के और लड़की दोनों की कुंडली में एक ही नाड़ी हो तो यह नाड़ी दोष है अर्थात यदि लड़के और लड़की दोनों की कुंडली में आद्या नाड़ी, मध्य नाड़ी या अंत्य नाड़ी हो तो उनका विवाह करना हिंदू धार्मिक ग्रंथों और शास्त्रों में वर्जित है.

नाड़ी दोष के प्रभाव
नाड़ी दोष लगने पर अकस्मात मुसीबत आती रहती है. साथ ही वर और वधु के बीच संबंध बेहद कटु रहते हैं. इस स्थिति में वियोग की भी संभावना रहती है. मध्य नाड़ी दोष लगने पर वर-वधू में से एक या दोनों की मृत्यु की संभावना बनी रहती है. वहीं कई बार संतान पैदा करने में दिक्कत आती है या संतान ठहर भी जाए तो पैदा होते समय उसकी मौत हो जाती है.

इस तरह नाड़ी दोष दूर हो जाएगा

शास्त्रों के अनुसार नाड़ी दोष से छुटकारा पाने के लिए लड़के या लड़की को सोने या चांदी की नाड़ी बनवाकर सवा लाख (125000) या 51000 महामृत्युंजय मंत्रों से पूजा करनी चाहिए और फिर दशम मंत्र से हवन करना चाहिए.

नाड़ी दोष का उपाय

  • नाड़ी दोष के प्रभाव को कम करने के लिए भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए.
  • महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से नाड़ी दोष के दुष्प्रभाव कम हो जाते हैं.
  • माना जाता है कि अपने वजन के बराबर भोजन दान करने से नाड़ी दोष का निवारण होता है.
  • जरूरतमंद लोगों को भोजन, कपड़े और अनाज का दान करने से भी नाड़ी दोष का प्रभाव कम होता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

 

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वर-वधू की कुंडली में नाड़ी दोष मिलने पर क्यों नहीं करनी चाहिए शादी? 
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वर-वधू में नाड़ी दोष हो तो क्या होता है?
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वर-वधू में नाड़ी दोष हो तो क्या होता है?

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वर-वधू की कुंडली में नाड़ी दोष मिलने पर क्यों नहीं करनी चाहिए शादी? 

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