डीएनए हिंदी : नटराज शिव की मुद्रा है. चार हाथों वाले शिव की इस नर्तक मुद्रा को शिव के तांडव करते रूप का प्रतीक भी माना जाता है. इसे हिन्दू धर्म में संहार के देवता कहे जाने वाले शिव का विशाल लौकिक नर्तक रूप भी कहा है. इस रूप में भगवान शिव को नृत्य और कला के ईश्वर के रूप में पूजा जाता है. महादेव के इस रूप की भाव-भंगिमा ठीक वैसी ही है जैसा कला पर हिन्दू धर्म में वर्णित है.
कलात्मक प्रतीक के रूप में शिव के नटराज(Natraj) स्वरूप को बेहतरीन अभिव्यक्ति माना जाना जाता है. कहा जाता है कि इसमें एक ही छवि में शिव के रचयिता, पालनकर्ता और संहारक वाले रूपों का समन्वय है. इसे हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुरूप कभी न ख़त्म होने वाले काल-चक्र को दर्शाता है. नटराज की छवि में शिव का बायां हाथ उनके उठे हुए बाएं पांव की ओर इंगित करता है. माना जाता है कि शिव का यह रूप संकट ग्रस्त लोगों को पनाह देता है.
कब बनी थी नटराज की पहली मूर्ति
माना जाता है कि नटराज (Natraj) की पहली मूर्ति ग्यारहवीं शताब्दी में बनाई गई थी. दुनिया की सबसे पुरानी नटराज मूर्ति चोल रानी सिम्बियन महादेवी ने बनवाया था.
सिंधु घाटी सभ्यता से भी जुड़ते हैं नटराज के तार
माना जाता है कि नटराज(Natraj) की संकल्पना हज़ारों साल पुरानी है. हालांकि चोल शासन में यह अपने परवान पर चढ़ा. उस काल में आनंद तांडव की परिकल्पना को अधिक आधार मिला. मान्यताओं और इतिहासविदों के अनुसार शिव हड़प्पा की सभ्यता में भी मान्य ईश्वर थे. सिंधु घाटी सभ्यता से प्राप्त जानकारियों ने अनुसार एक प्रमुख देव पशुपति थे. गौरतलब है कि प्रचलित संकाय में शिव का एक नाम पशुपति भी है. सिंधु घाटी सभ्यता से प्राप्त भित्तिचित्रों में से एक में आदियोगी की छवि उकेरी हुई है. इस छवि में पैर के ऊपर पैर रखे योगी को दर्शाया गया है. इस योगी के लिंग में उत्तेजन है और वह कई तरह के जानवरों से घिरा हुआ है. हिन्दू धर्म में पशुपति माने जाने वाले शिव की पूजा लिंग रूप में होती है और वे जानवरों से घिरे होते हैं. माना जाता है कि यह नटराज रूप इसी आदि योगी की योद्धा छवि है. क्वार्ट्ज़ इंडिया में छपे एक रिपोर्ट के अनुसार हड़प्पा सभ्यता (Harappa) की कई मूर्तियां नृत्य रूप में नज़र आती हैं. यह भी हो सकता है कि नटराज उनके नर्तक देवता रहे हों.
ज्ञात हो कि शिव के तांडव रूप को शिव की प्रथम साथिन सती की मृत्यु से जोड़ा जाता है. सती ने जब यज्ञ कुंड में कूद कर जान दे दी थी तब शिव ने क्रोध और विरह में तांडव शुरू किया था.
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