डीएनए हिंदी: कल यानी 28 अक्टूबर से नहाय खाय के साथ छठ महापर्व का शुरुआत हो रहा है, अगले 4 दिनों तक यह उत्सव पूरे धूमधाम के साथ मनाया जाएगा (Know Who is Chhathi Maiya and Astronomical Importance Of Chhath Parva) . छठ पूजा के पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन शाम के समय सूर्य को अर्घ्य और चौथे दिन उगते सूरज को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाएगा.

इस दौरान लगन और निष्ठा के साथ सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठ के दूसरे दिन यानी खरना वाले दिन छठी मैया घर-घर आती हैं और अपना शुभ आशीष प्रदान करती हैं. छठी मैया की वजह से ही इस पर्व का नाम छठ पड़ा है.  छठ पूजा के दूसरे दिन छठ मैया की पूजा की जाती है और उनसे संतान प्राप्ति व दीर्घायु की कामना की जाती है. चलिए जानते हैं कौन है छठी मैया और क्या है इस पर्व का खगोलीय महत्व... 

कौन हैं छठी मैया (Chhathi Maiya)

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, छठ पूजा में पूजी जानें वाली छठी मैया भगवान ब्रह्माजी की मानस पुत्री और सूर्यदेव की बहन हैं. छठी मैया को प्रसन्न करने के लिए छठ पूजा में इनकी पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब ब्रह्माजी सृष्टि की रचना कर रहे थे, तब उन्होंने अपने आपको दो भागों में विभाजित कर दिया था. जिससे  ब्रह्माजी का दायां भाग पुरुष और बांया भाग प्रकृति के रूप में सामने आया. प्रकृति सृष्टि की अधिष्ठात्री देवी बनीं जिन्हें प्रकृति देवी के नाम से जाना जाता है. जिसके बाद प्रकृति देवी ने भी अपने आपको छह भागों में विभाजित किया था. देवी के छठे अंश को मातृ देवी या देवसेना के रूप में जाना जाता है. देवी का छठा अंश होने की वजह से इनका नाम षष्ठी भी पड़ा, जिन्हें छठी मैया कहा जाता है. बच्चे के जन्म होने के बाद छठवें दिन भी मां षष्टि की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार षष्ठी देवी की आराधना करने से बच्चों को आरोग्य और सफलता का आशीर्वाद मिलता है.

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छठ पर्व का खगोलीय महत्व

वैज्ञानिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी छठ पर्व का विशेष महत्व है. जानकारों की मानें तो कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि एक विशेष खगोलीय अवसर है, इस दौरान सूर्य धरती के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित रहता है. जिससे सूर्य की पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्रित हो जाती हैं. जिससे हानिकारक किरणों का प्रभाव सीधा लोगों की आंख, पेट और त्वचा पर पड़ता है. इसलिए इस दिन सूर्य देव की उपासना व अर्घ्य देने से सूर्य के इन नकारात्मक प्रभावों का मनुष्य पर कम असर पड़ता है. साथ ही 36 घंटे का यह व्रत और सात्विक भोजन, साधक को सूर्य से उचित ऊर्जा लेने में भी मदद करता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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Chhath puja 2022 start from 28 to 31 october who is chhathi maiya astronomical importance of chhath parva
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छठ में किस देवी की होती है पूजा?
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छठ में किस देवी की होती है पूजा

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छठ में किस देवी की होती है पूजा, जानिए इस पर्व का खगोलीय महत्व