डीएनए हिंदीः बिहार और उत्तर प्रदेश का लोकप्रिय पर्व छठ प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है, इसलिए इसे छठ पर्व कहा जाता है. छठ पूजा नहाए-खाए से शुरू होता है (Chhath Puja 2022 ) जो कि चौथे दिन उगते सूर्य को (Bhagwan Surya) अर्घ्य देने के साथ समाप्त होता है.

चार दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं. महिलाएं यह व्रत संतान प्राप्ति और संतान की लंबी उम्र के लिए रखती हैं. उत्तर भारत में छठ पर्व  (Chhath Parv 2022) का विशेष महत्व है, इसके अलावा छठ से जुड़ी तमाम लोककथाएं प्रचलित हैं. चलिए जानते हैं छठ पूजा का क्या है पौराणिक महत्व (Chhath Puja Story).

क्या है छठ का पौराणिक महत्व (Chhath Puja 2022 Significance And Importance)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रियव्रत नामक एक निःसंतान राजा संतान प्राप्ति के लिए तमाम जतन अपना रहे थे लेकिन उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ. राजा निराश हो कर संतान प्राप्ति के लिए महर्षि कश्यप के पास गए, ऋषि ने राजा को पुत्रयेष्टि यज्ञ करने की सलाह दी. जिसके बाद प्रियव्रत की पत्नी ने एक बच्चे को जन्म दिया लेकिन वह मरा हुआ पैदा हुआ. राजा के मृत बच्चे की सूचना से पूरे नगर में शोक पसर गया. कहा जाता है कि जब राजा अपने मृत बच्चे का अंतिम संस्कार कर रहे थे तभी आसमान से एक ज्योतिर्मय विमान धरती पर उतरा. ज्योतिर्मय विमान में बैठी देवी ने कहा, 'हे राजन, मैं षष्ठी देवी विश्व के समस्त बालकों की रक्षिका हूं.'  देवी ने यह कहकर शिशु के मृत शरीर को स्पर्श किया, जिससे वह जीवित हो उठा. कहा जाता है तब से ही राजा ने अपने पूरे राज्य में यह त्योहार मनाने की घोषणा कर दी. 

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भगवान राम और माता सीता से जुड़ी कहानी

छठ पूजा की परंपरा कैसे शुरू हुई इसको लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद मुग्दल ऋषि के कहने पर राम राज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास कर सूर्य देव की अराधना की थी. जिसके बाद सप्तमी के दिन सूर्योदय के समय अनुष्ठान कर सूर्य देव से आशीर्वाद प्राप्त किया था. 

महाभारत काल से हुई थी छठ पर्व की शुरुआत

एक दूसरी कथा के अनुसार, छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल से हुई थी. कहा जाता है इस पर्व को सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके शुरू किया था.  कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे और वो रोज घंटों तक पानी में खड़े होकर उन्हें अर्घ्य देते थ. मान्यता है कि सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बने. 

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द्रौपदी ने भी रखा था छठ व्रत

किवदंती के मुताबिक, जब पांडव सारा राजपाठ जुए में हार गए थे, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था. इस व्रत को रखने  से उनकी मनोकामना पूरी हुई और पांडवों को सब कुछ वापस मिल गया था. मान्यता है कि सूर्य देव और छठी मैया का संबंध भाई-बहन का है. इसलिए छठ के मौके पर सूर्य की आराधना की जाती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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छठ पूजा का क्या है महत्व? जानिए पौराणिक कथाएं, द्रौपदी में भी रखा था ये व्रत
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छठ पूजा का क्या है पौराणिक महत्व?

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छठ पूजा का क्या है महत्व? जानिए पौराणिक कथाएं, द्रौपदी ने भी रखा था ये व्रत