डीएनए हिंदी: 10 Things You Must Know About Chhath Puja- बिहार-झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में छठ का महापर्व पूरे धूमधाम से मनाया जाता है. छठ पूजा का फैलाव देश-विदेश के उन भागों में भी हो गया है जहां बिहार-झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग जाकर बस गए हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन छठी मैया की पूजा की जाती है साथ ही उगते हुए और डूबते हुए सूरज को अर्घ्य देकर सूर्य देव की उपासना की जाती है. देश की बहुत बड़ी आबादी इस पूजा की मौलिक बातों से अनजान है. इसके अलावा जिन लोगों के घर में यह व्रत होता है उनके मन में भी छठ को लेकर कई सवाल उठते हैं. आज हम आपको छठ पर्व से जुड़े कुछ सवालों का जवाब बता रहे हैं, जिनके बारे में आप जरूर जानना चाहेंगे....
छठ या सूर्यषष्ठी व्रत में किन देवी-देवताओं की पूजा की जाती है?
छठ पूजा के दौरान सूर्य के साथ-साथ षष्ठी देवी यानी छठ मैया की भी पूजा की जाती है. साथ ही इस अवसर पर सूर्यदेव की पत्नी उषा और प्रत्युषा को भी अर्घ्य देकर प्रसन्न किया जाता है.
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छठ मैया कौनसी देवी हैं?
सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने खुद को 6 भाग में विभाजित किया था, देवी के छठे अंश को देवसेना कहा जाता है. देवी प्रकृति का छठा अंश होने की वजह से देवी का नाम षष्टि पड़ा जिन्हें स्थानीय बोली में छठी मैया के नाम से पुकारा जाता है. इसके अलावा षष्टि देवी को मानसपुत्री भी कहा जाता है.
छठ पूजा में लोग पवित्र नदी और तालाबों आदि के किनारे क्यों जमा होते हैं?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य को जल से अर्घ्य देने का विधान है. ऐसे में पवित्र नदियों के जल से सूर्य को अर्घ्य देने और स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है. इसलिए लोग नदी और तालाबों के किनारे जाकर पूजा करते हैं. हालंकि आप यह पूजा किसी भी साफ-सुथरी जगह पर कर सकते हैं.
कार्तिक महीने के अलावा यह पूजा साल में कब की जाती है?
कार्तिक माह के अलावा एक और छठ व्रत चैत्र शुक्ल पक्ष में चतुर्थी से लेकर सप्तमी तक किया जाता है. जिसे चैती छठ के नाम से जाना जाता है.
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छठ पूजा की शुरुआत कैसे हुई?
प्रथम मनु स्वायंभुव के पुत्र राजा प्रियव्रत निःसंतान थे इसकी वजह से वह काफी दुखी रहने लगे. तब महर्षि कश्यप ने राजा से पुत्रेष्टि यज्ञ कराने को कहा. राजा ने ऋषि की बात मान कर यज्ञ कराया, जिसके बाद उनकी महारानी मालिनी ने एक पुत्र को जन्म दिया जो मरा हुआ पैदा हुआ. राजा का दुख देखकर षष्टि देवी प्रकट हुईं और उन्होंने मृत शिशु को स्पर्श किया जिससे वह जीवित हो उठा. देवी की इस कृपा से प्रियव्रत बहुत खुश हुए और पूरे राज्य में देवी की पूजा का आयोजन किया. मान्यता है तब से यह परंपरा चली आ रही है.
छठ का प्रसाद मांगकर क्यों ग्रहण करना चाहिए?
कहा जाता है कि किसी भी व्यक्ति की उन्नति की राह में गर्व-अभिमान बड़ी बाधा के रूप में खड़ी होती है. प्रसाद मांगने से लोगों में मान-बड़प्पन की भावना कम होती है और दुर्गुण छूटते हैं. इसलिए इस दिन प्रसाद मांग कर ग्रहण किया जाता है.
ज्यादातर महिलाएं ही छठ पूजा क्यों करती हैं?
छठ पूजा महिला और पुरूष दोनों कर सकते हैं लेकिन महिलाएं ज्यादातर यह व्रत रखती हैं क्योंकि यह व्रत संतान की कामना से या संतान के स्वास्थ्य और उनके दीघार्यु होने के लिए किया जाता है. इसलिए महिलाएं इस व्रत को बढ़-चढ़कर और पूरी श्रद्धा के साथ करती हैं.
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4 दिनों तक चलने वाली छठ पूजा में किस-किस दिन क्या-क्या होता है?
व्रत की शुरुआत 'नहाय-खाय' के साथ होती है. दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल की पंचमी तिथि को शाम में मुख्य पूजा होती है जिसे ‘खरना’ कहते हैं, इस दिन प्रसाद के रूप में गन्ने के रस से या फिर गुड़ में बनी खीर चढ़ाई जाती है. तीसरे दिन, कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि को शाम में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और फिर अंतिम दिन कार्तिक शुक्ल की सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पारण के साथ व्रत की समाप्ति की जाती है.
छठ पूजा का बिहार से क्यों है विशेष संबंध?
छठ पूजा खासतौर से बिहार में मनाया जाता है. छठ के दौरान सूर्य की पूजा के साथ-साथ षष्ठी देवी की भी पूजा की अनूठी परंपरा बिहार में देखने को मिलती है. बिहार में सूर्य पूजा सदियों से की जाती रही है, सूर्य पुराण में यहां के सूर्य देव मंदिरों की महिमा का उल्लेख मिलता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सूर्यपुत्र कर्ण का जन्म बिहार में ही हुआ था. इसलिए बिहार के लोगों की आस्था सूर्य देवता में ज्यादा है.
सूर्य की पूजा से क्या-क्या फल मिलते हैं?
मान्यता है कि भगवान सूर्य सभी पर उपकार करने वाले, अत्यंत दयालु हैं. सूर्य देव की उपासना करने से मनुष्य को सभी तरह के रोगों से छुटकारा मिल जाता है. कहा जाता है जो सूर्य की उपासना करते हैं उनके जीवन से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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