डीएनए हिंदी : पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की (Karwa Chauth) चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है. इस बार ये शुभ तिथि 1 नवंबर दिन बुधवार को है. इस दिन मुख्य रूप से मां पार्वती, भगवान शिव और श्री गणेश (Chauth Mata Mandir) जी के साथ चंद्रमा की पूजा की जाती है. इसके अलावा कई स्थानों पर इस दिन चौथ माता की पूजा की भी परंपरा है. मान्यता है कि माता गौरी चौथ माता के रूप में राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के 'चौथ का बरवाड़ा गांव' (Chauth Ka Barwada) में विराजमान हैं और यहां दूर-दूर से सुहागिन महिलाएं अपने पति की रक्षा और सुख-सौभाग्य के लिए पार्थना करने आती हैं. इस मंदिर को चौथ माता (Chauth Mata) का सबसे पुराना मंदिर माना जाता है. आइए जानते हैं इस (Famous Temple) मंदिर के बारे में...
चौथ माता का रूप (Chauth Mata Ke Roop)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चौथ माता देवी पार्वती का ही एक रूप हैं, जिनकी पूजा करने से विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है. मान्यता है कि चौथ माता की पूजा करने से वैवाहिक जीवन की हर परेशानी दूर होती है और जिस पर भी चौथ माता की कृपा बनी रहती है उनके जीवन में हमेशा सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है.
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चौथ माता का मंदिर (Chauth Mata Temple)
देश में चौथ माता का सबसे पुराना और एक मात्र मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के बरवाड़ा शहर में है. यहां दूर-दूर से लोग माता का दर्शन करने आते हैं. कहा जाता है कि चौथ माता के इस मंदिर की स्थापना साल 1451 में यहां के राजा भीम सिंह ने की थी. चौथ माता का ये मंदिर देखने में काफी आकर्षक है और मंदिर सफेद संगमरमर के पत्थरों से तैयार किया गया है. इसके अलावा मंदिर तक जाने के लिए 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं.
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बता दें कि नवरात्रि, करवा चौथ व अन्य खास मौकों पर यहां धार्मिक आयोजन किए जाते हैं, चौथ माता का ये मंदिर विशेष तौर पर विवाहित जोड़े के लिए है और इस मंदिर में अलग अलग समय पर मेले का आयोजन किया जाता है. करवा चौथ के दौरान यहां आयोजित होने वाले मेले में हजरों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सच्चे मन से चौथ माता मंदिर में पूजा आराधना करने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है और दांपत्य जीवन में सुख बढ़ता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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राजस्थान के इस मंदिर में विराजमान हैं चौथ माता, दर्शन के लिए चढ़नी पड़ती हैं 700 सीढ़ियां