डीएनए हिंदी : शनिवार को दो बेहद महत्वपूर्ण योग बन रहे हैं. चूंकि सुबह 5:44 तक एकादशी तिथि का योग बन रहा है, चम्पक द्वादशी के साथ इसका मेल खास माना जा रहा है. चम्पा के फूलों से भगवान की पूजा के विधान के कारण ही इस द्वादशी को चम्पक द्वादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन गोविंद की पूजा चम्पा के फूलों के द्वारा की जाती है. जानिए इस दिन मनोकामना पूर्ति के सारे विधान –
ऐसे होती है चम्पा के फूलों से भगवान की पूजा
इस द्वादशी को गोविंद की पूजा और शृंगार चम्पा के फूलों से करने के बाद विट्ठलनाथ जी (भगवान श्री कृष्ण) को प्रणाम कर खास मंत्र का जाप किया जाता है. इस दिन विष्णु के अवतार श्रीराम तथा शेषनाग के अवतार श्री लक्ष्मण की मूर्तियों की पूजा भी की जाती है.
करें शनि और सूर्य देवता की भी पूजा
ज्योतिषियों के अनुसार शनिवार और एकादशी के योग में शनि की भी पूजा करना बेहद फलदायी होता है. इस दिन एक व्रत करने से दो भगवान को प्रसन्न किया जा सकता है. शनि सूर्य देवता के पुत्र हैं और उनकी मां का नाम छाया है. यमराज शनिदेव के भाई हैं और यमुना जी इनकी बहन हैं. इस दिन शनि पूजा करने और इन देवताओं को अर्ध्य देने से मनवांछित फल मिलता है.
मनोकामना पूर्ति के लिए
शनि एकादशी के दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए सरसों का तेल का दीपक जलाना चाहिए. साथ ही ऊँ शं शनैश्चराय नमः शनिदेव के मंत्र का भी जाप करते रहना चाहिए. शनिदेव और एकादशी के संयोग में काले तिल, काली उड़द और काल वस्त्रों का दान करना शुभ फल देता है.
-इस दिन आप किसी गरीब को चप्पल-जूते और छाता दान करें तो यह बहुत ही शुभदायी होता है. आपके इस कार्य से शनि बहुत खुश होते हैं. साथ ही इस दिन किसी जरूरतमंद को तेल दान करने से बाधाएं खत्म होती हैं.
- गुप्त मनोकामना को पूर्ण करने के लिए आज एक मिट्टी के कलश में तीन तरह बराबर अनाज को रखकर उपर से उसमें एक सिक्का और दुर्वा डाल दें. उसे ऊपर से ढक दें. ढक्कन पर एक घी का दीपक जलाकर उस कलश को देवी दुर्गा को अर्पित करें.
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11 जून को है शनि एकादशी और चम्पक द्वादशी का ख़ास योग, ऐसे करें पूजा कि हो मनोकामनाएं पूरी