मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना (Chaitra Navratri Puja) करने का सबसे श्रेष्ठ समय नवरात्रि होती हैं. साल में कुल 4 नवरात्रि आती हैं. इनमें दो गुप्त, एक शारदीय और दूसरे चैत्र नवरात्रि होती हैं. इन दोनों नवरात्रि में नौ दिनों तक माता की पूजा अर्चना, मंत्र और आरती की जाती है. 9 दिनों के तक माता के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा, अर्चना करने और भोग लगाने से माता रानी प्रसन्न होती हैं. घर से संकट और विपदाओं को निकालकर व्यक्ति के जीवन में सुख शांति और धन के भंडार भरती हैं. जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धाभाव और सच्चे मन से मां की पूजा आरती करता है. उसे चारों पुरुषार्थ प्राप्त होते हैं.
इस बार नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल से हो गई है. नवरात्रि के चौथे दिन यानी शुक्रवान को मां कुष्मांडा की पूजा की जाएगी. नवरात्रि के चौथे दिन की अधिष्ठात्री देवी मां कुष्मांडा की विधिवत पूजा अर्चना करने से व्यक्ति सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. माता का स्वरूप बड़ा अद्भुत और विलक्षण है. इनकी आठ भुजाएं हैं. इनमें से एक में कमण्डल, दूसरे में धनुष–बाण, तीसरे में कमल, चौथे में अमृत कलश, पांचवें में चक्र, छठे में गदा और सातवें और आठवें में हाथ में सिद्धियों और निधियों की जप माला है. माता की सवारी सिंह है.
अपनी हंसी से किया था सृष्टि का निर्माण
मां कुष्मांडा ने अपनी एक हंसी इस सृष्टि का निर्माण किया था. कुष्मांडा कुम्हडे को भी कहते हैं. देवी को कुम्हडे की बलि प्रिय है. माता की पूजा अर्चना करने से ही व्यक्ति के जीवन में सुख और शांति का वास होता है.
इस मंत्र का करें जाप Mantra Jaap
मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना करने के दौरान उनके मंत्र का जाप करना चाहिए. इससे मां जल्द ही व्यक्ति की मनोकामनाओं को पूर्ण करती है. देवी कुष्मांडा का मंत्र है.
या देवी सर्वभूतेषु माँ कुष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
पहने पीले रंग के कपड़े और माता को लगाएं पीला भोग Maa Kushmanda Bhog
नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप की पूजा अर्चना और व्रत किया जाता है. इस दिन सुबह स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण करने चाहिए. इसके साथ ही माता के मंत्रों के जाप और आरती के बाद उन्हें पहले रंग की मिठाईयां का भोग लगाना चाहिए. इससे मां प्रसन्न होती हैं. उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.
मां कुष्मांडा की आरती Maa Kushmanda Aarti
चौथे नवरात्रे मां कुष्मांडा को ध्याते..
जिसने रचा ब्रह्माण्ड यह, पूजन है.
आध्शक्ति कहते जिन्हें, अष्टभुजी है रूप..
इस शक्ति के तेज से कहीं छाव कही धुप.
कुम्हड़े की बलि करती है तांत्रिक से स्वीकार..
पेठे से भी रीज्ती सात्विक करे विचार.
क्रोधित जब हो जाए यह उल्टा करे व्यवहार..
उसको रखती दूर मां, पीड़ा देती अपार.
सूर्य चन्द्र की रौशनी यह जग में फैलाए..
शरणागत की मैं आया तू ही राह दिखाए.
नवरात्रों की मां कृपा करदो मां..
नवरात्रों की मां कृपा करदो मां.
जय मां कुष्मांडा मैया.
जय मां कुष्मांडा मैया..
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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Chaitra Navratri के चौथे दिन करें मां कुष्मांडा की पूजा, जानें पूजा विधि से लेकर मंत्र, भोग और आरती