डीएनए हिंदी: मां दुर्गा को समर्पित पर्व चैत्र नवरात्रि आने वाले हैं. इस साल चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल से शुरू होकर 11 अप्रैल को समाप्त होंगे. मान्यता है कि नवरात्रि में सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा करने वाले भक्तों पर माता रानी की कृपा दृष्टि हमेशा बनी रहती है.
देवी पुराण के अनुसार, साल में चार बार नवरात्रि का त्योहार आता है लेकिन शारदीय व चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व होता है. चैत्र माह में पहली नवरात्रि होती है जिसे चैत्र या बड़ी नवरात्रि के नाम से जाना जाता है. इसके बाद दूसरी नवरात्रि चौथे माह आषाढ़ में होती है जिसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं. अश्विन मास में तीसरी नवरात्रि आती है जिसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है और माघ में चौथी नवरात्रि होती है इसे भी गुप्त नवरात्रि ही कहा जाता है.
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती हैं. इस बार कलश स्थापना का शुभ समय 2 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 10 मिनट से 08 बजकर 29 मिनट तक है.
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कलश स्थापना की विधि
- नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर नहाएं.
- इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर कलश को पूजा घर में रखें.
- मिट्टी के घड़े के गले में पवित्र धागा बांधे.
- अब कलश को मिट्टी और अनाज के बीज की एक परत से भरें.
- कलश में पवित्र जल भरकर उसमें सुपारी, गंध, अक्षत, दूर्वा घास और सिक्के डालें.
- अब कलश के मुख पर एक नारियल रखें और इसे आम के पत्तों से सजाएं.
- मंत्रों का जाप करते हुए कलश को फूल, फल, धूप और दीया अर्पित करें.
- इसके बाद देवी महात्म्यम का पाठ करें.
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Chaitra Navratri 2022: इस दिन से होगी चैत्र नवरात्रि की शुरुआत, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त