महाशिवरात्रि का व्रत वर्ष में एक बार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है. इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए इसका विशेष धार्मिक महत्व है. मान्यता के अनुसार, महाशिवरात्रि भगवान शिव और देवी पार्वती को प्रसन्न करने के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है. इसी कारण इस दिन भक्तजन अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए विशेष पूजा-अर्चना, उपाय और रुद्राभिषेक करते हैं तथा विभिन्न सामग्रियां अर्पित करते हैं, जिससे भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर लौंग चढ़ाने का ज्योतिषीय महत्व.
शिवलिंग पर लौंग चढ़ाने का महत्व
शिव पुराण के अनुसार लौंग भगवान शिव को बहुत प्रिय माना जाता है. लौंग के जोड़े को शिव-शक्ति का प्रतीक माना जाता है और धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिष के अनुसार इसे दैवीय शक्ति का कारक माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग पर लौंग चढ़ाने से मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
शिवपुराण के अनुसार लौंग भगवान शिव को बहुत प्रिय है. लौंग का जोड़ा मुख्यतः शिव-शक्ति का प्रतीक माना जाता है. इसलिए धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिष के अनुसार लौंग को दैवीय शक्ति की ऊर्जा के लिए जिम्मेदार बताया गया है और ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग पर लौंग चढ़ाने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
क्या महाशिवरात्रि पर लौंग चढ़ाना शुभ है?
महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर लौंग चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन शिवलिंग पर लौंग चढ़ाने से दोगुना पुण्य मिलता है. महाशिवरात्रि के दिन लौंग का एक जोड़ा चढ़ाने से भक्तों को शिव-शक्ति की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे उनके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है. इसके साथ ही इस दिन लौंग का एक जोड़ा चढ़ाने से न सिर्फ आपकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं बल्कि घर में सुख-समृद्धि भी आती है. इसलिए महाशिवरात्रि के दिन लौंग का जोड़ा चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है.
ग्रह और कुंडली दोष
लौंग के उपाय ग्रह और कुंडली दोषों से छुटकारा पाने में भी मदद करते हैं. भगवान शिव की पूजा के दौरान शिवलिंग पर लौंग चढ़ाने से कुंडली में शनि, राहु और केतु की अशुभ स्थिति के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है. यह उपाय ग्रह दोषों से मुक्ति पाने का उपाय माना जाता है.
शिवलिंग पर लौंग कैसे चढ़ाएं?
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा प्रारंभ करें. इसके बाद एक बर्तन में जल भरकर शिवलिंग पर चढ़ाएं. जल चढ़ाते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें और फिर एक लौंग लेकर शिवलिंग पर चढ़ाएं. पूजा के अंत में शिवलिंग के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए और भगवान शिव की आरती करनी चाहिए.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी सामान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)
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