डीएनए हिंदीः सनातन धर्म में बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) का विशेष महत्व है. इसे सत्य विनायक पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक ग्रंथों की मानें तो भगवान कृष्ण के मित्र और सहपाठी सुदामा जब द्वारका पहुंचे थे तो श्रीकृष्ण ने इस व्रत का महत्व बताया था. इस व्रत को रखने से सुदामा की दरिद्रता खत्म हो गयी थी. इसी दिन बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध (Buddha) का भी जन्म हुआ था इसलिए इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. स्कंद पुराण के अनुसार महात्मा बुद्ध भगवान विष्णु (Vishnu) के नौवें अवतार हैं.
बुद्ध पूर्णिमा के दिन करें भगवान विष्णु की पूजा
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने पर सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. साथ ही मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन से जुड़ी सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं. इसे वैशाख पूर्णिमा भी कहा जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार यह पूर्णिमा 16 मई यानी सोमवार को है. इस दिन चंद्र दर्शन करना का भी विशेष महत्व है. ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन बिना चंद्र दर्शन के पूर्णिमा का व्रत पूरा नहीं माना जाता है.
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पूजा करने का शुभ मुहूर्त
इस साल 16 मई के दिन यानी सोमवार को बुद्ध पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा. इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त 15 मई यानी रविवार को 12:45 से 16 मई दिन सोमवार को 9:43 तक रहेगा. कहा जाता है कि शुभ मुहूर्त के दौरान पूजा करने पर आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
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जानिए पूजा विधि
इस दिन कोशिश करें कि आप सूर्योदय पहले उठकर घर की साफ-सफाई कर लें. इसके बाद सादे पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें. घर के मंदिर की भी साफ-सफाई करें और भगवान विष्णु के आगे दीपक जलाएं. पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें. इस दिन घर के मुख्य द्वार पर रोली, हल्दी या कुमकुम से स्वस्तिक भी बनाना चाहिए. इसके अलावा बोधिवृक्ष के सामने दीपक जलाएं और उसकी जड़ों में दूध अर्पित करें. साथ ही शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दें.
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