हिंदू धर्म में सभी तिथियों में एकादशी तिथि सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है. इसका खास महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने के साथ ही व्रत करना बेहद फलदायक होता है. इससे व्यक्ति के जीवन के सभी पाप और कष्ट नष्ट हो जाते हैं. जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. इसमें ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है. यह एकादशी पुण्य, मोक्ष और आर्थिक लाभ देने वाली है. आइए जानते हैं कि ज्येष्ठ माह में आने वाली अपरा एकादशी की तारीख से लेकर इसकी पूजा विधि, महत्व अैर मंत्र
अपरा एकादशी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस साल अपरा एकादशी की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. इसकी शुरुआत और समाप्ति अलग अलग दिन हो रही है. पंचांग के अनुसार, अपरा एकादशी तिथि की शुरुआत 22 मई को रात 1 बजकर 13 मिनट पर होगी. वहीं इसका समापन अगले दिन 23 मई को रात 11 बजकर 30 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि को देखते हए अपरा एकादशी का व्रत 23 मई 2025 को रखा जाएगा.
अपरा एकादशी 2025 पर बन रहे ये शुभ योग
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, इस साल अपरा एकादशी पर कई शुभ योग बन रहे हैं. इस बार 23 मई 2025 को आयुष्मान योग और प्रीति योग बन रहे हैं. यह पूजा-पाठ के लिए बेहद शुभ माने जाते हैं. इसके साथ ही, इस दिन बुध ग्रह वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे बुधादित्य योग बन रहा है. यह योग व्यक्ति को धन और बुद्धि प्रदान करता है. शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी की उपासना की जाती है.
व्रत के बाद दान का महत्व
एकादशी पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने के साथ ही व्रत करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं. इसमें द्वादशी तिथि पर जरूरतमंदों को दान देने की परंपरा है. मान्यता है कि इस दिन दान करने से जीवन की सभी परेशानियां खत्म हो जाती हैं. इस दिन मंदिर या ब्राह्मणों को अन्न देना बेहद लाभकारी है.
अपरा एकादशी 2025 मंत्र
ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ..
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ..
शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्.
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्..
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा..
ऊँ हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम ..
पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है, जो लोक कथाओं और मान्यताओं पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टी नहीं करता है)
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इस दिन है अपरा एकादशी, जानें पूजा विधि से लेकर तारीख महत्व और मंत्र