डीएनए हिंदी: Aja Ekadashi Importance: हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत पापकर्मों से मुक्ति के साथ ही कई सुखों को प्राप्त कराने का माध्यम माना गया है. इस व्रत को करने के लिए कई कड़े नियम होते हैं जिनका पालन करना जरूरी है. व्रत के साथ ही इसके पारण का नियम भी अलग होता है. एकादशी के दिन अगर व्रत नहीं भी कर रहे तो चावल नहीं खाना चाहिए और अगले दिन भी पारण चावल के साथ नहीं करना चाहिए.
यह व्रत हर साल भाद्रपद के कृष्ण पक्ष में आता है और इसका विशेष महत्व है. मान्यता है कि अजा एकादशी का व्रत करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और पापों से छुटकारा मिलता है. इस दिन भगवान विष्णु भगवान का विधि-विधान से पूजन कर व्रत का पालन करना होता है. साथ ही रात्रि जागरण का भी महत्व है. ध्यान रखें कि पूजन के दौरान एकादशी व्रत कथा अवश्य पढ़ें. इसे पढ़ें बिना व्रत अधूरा माना जाता है.
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अजा एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के महत्व के बारे में बताने को कहा तो श्रीकृष्ण ने बताया कि भाद्रपद कृष्ण एकादशी को अजा या जया एकादशी के नाम से जाना जाता है. एक समय चक्रवर्ती राजा हरिशचंद्र ने सत्यपथ पर चलते हुए जब अपना राज्य, पत्नी, और बच्चे समेत खुद को भी बेच दिया था तब वह मृतकों का दाह संस्कार करते थे औश्र उनके वस्त्र लेते थे. वह हमेशा सत्य के मार्ग पर चले और जब भी एकांत में होते तो अपने दुखों से मुक्ति पाने का रास्ता खोजते थे.
एक दिन वहां गौतम ऋषि आए तो हरिशचंद्र ने उन्हें प्रणाम किया और गौतम ऋषि को अपने दुखों के बारे में बताया साथ ही उद्धार का मार्ग भी पूछने लगे. तब ऋषि ने कहा कि तुम भाग्यशाली हो क्योंकि आज से 7 दिन बाद भाद्रपद माह की कृष्ण एकादशी यानि अजा एकादशी आने वाली है. इस दिन तुम विधि-विधान और भक्तिभाव के साथ व्रत करों. इससे तुम्हारा कल्याण होगा और सभी दुख दूर होंगे.
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सात दिन जब अजा एकादशी आई तब राजा हरिशचंद्र ने व्रत किया और भगवान विष्णु का पूजन कर अगले दिन व्रत का पारण किया. इससे भगवान विष्णु की कृपा उसके सभी पाप नष्ट हो गए और दुखों से मुक्ति मिल गई.
यहां तक कि उसका मरा हुआ पुत्र फिर से जीवित हो गया और उसकी पत्नी पहले की तरह रानी के समान नजर आने लगी. इस व्रत के पुण्य प्रभाव से उसे अपना राज्य भी वापस मिल गया और वह परिवार समेत अपने महल में रहने में रहने लगा. जीवन के अंत में उसे स्वर्ग में स्थान प्राप्त हुआ. कहते हैं कि जो भी जातक अजा एकादशी व्रत की कथा सुनता प पढ़ता है उसे अश्वमेघ यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है.
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Aja Ekadashi 2022: एकादशी व्रत करने से मिलता है अश्वमेघ यज्ञ के बारबर पुण्य, जानें व्रत कथा