डीएनए हिंदीः नवरात्रि में कन्या पूजन का बहुत महत्व माना गया है. कन्या पूजन में विशेष ध्यान रखना चाहिए कि कन्याओं की उम्र 2 वर्ष से कम और 10 वर्ष तक ही हो. साथ में दो लांगुर यानी बालक को भी भोजन कराएं और विधिवत उनकी पूजा करें.
अष्टमी तिथि को महागौरी की पूजा और हवन के साथ ही कन्या पूजन शुरू हो जाता है. श्रीमद् देवी भागवत महापुराण के तृतीय स्कंध के अनुसार कन्या पूजन और हवन के बिना नवरात्रि की पूजा पूरी नहीं होती है.
इस बार नवरात्रि में अष्टमी तिथि 3 अक्टूबर शाम 4ः39 तक रहेगी. उसके बाद नवमी तिथि का प्रारंभ हो जाएगी. ऐसे में नवरात्रि अष्टमी हवन 3 अक्टूबर को ही होनी है. शुभ योग 2 अक्टूबर शाम 5ः14 से 3 अक्टूबर दोपहर 2ः30 तक होगा तो अष्टमी को आप ढाई बजे से पहले कन्याओं का पूजन कर लें. संधि पूजा का मुहूर्त 3 अक्टूबर शाम 4ः14 से लेकर 5ः02 तक होगा.
यह भी पढ़ें ः Navratri 2022: इन 10 जगहों की मिट्टी से बनती है देवी दुर्गा की प्रतिमा, तवायफ का घर भी है एक, जानिए किस्सा
अष्टमी पर
नवरात्रि की अष्टमी पर कम से कम आठ , नहीं तो 9 कन्या और एक लांगूर जिमाएं. अष्टमी तिथि को छोटी बच्चियों का अपने हाथों से श्रृंगार करके उनके पैर दूध से धोना बहुत शुभ होता है. सभी कन्याओं को भोजन कराएं और अपनी इच्छा अनुसार कोई भी भेंट अथवा दक्षिणा दे सकते हैं.
यह भी पढ़ें ः Maha Ashtami : अगर आप अष्टमी को करने वाले हैं कन्या पूजन, तो यहां जान लें सभी शुभ मुहूर्त
नवमी पर
नवरात्रि के अंतिम दिन यानी नवमी तिथि पर 9 कन्या और एक लांगूर की पूजा करें और कन्याओं को भोजन में खीर, पूरी और हलवा और चने का भोग लगाएं. छोटी बच्चियों के हाथों में मेहंदी और पैरों में आलता यानी महावर लगाएं.भोजन के बाद कन्याओं को इलायची और पान अवश्य खिलाएं.
कन्याओं को उम्र के अनुसार पूजन के होते हैं अपने महत्व
- 2 साल की कन्या की पूजा करने से घर से दुख और दरिद्रता दूर होती है.
- 3 साल की कन्या को त्रिमूर्ती का रूप माना जाता है, इन्हें पूजने से घर में धन और सुख की प्राप्ति होती है.
- 4 साल की कन्या को मां कल्याणी के रूप में पूजा जाता है, इनकी पूजा करने से कल्याण होता है.
- 5 साल की कन्या को रोहिणी माना जाता है, इन्हें पूजने से हमारा शरीर रोग मुक्त होता है.
- 6 साल की कन्या को काली का रूप माना जाता है, इनकी पूजा करना विद्या के लिए अच्छा होता है और राजयोग बनता है.
यह भी पढ़ें ः 8 या 9 कितने दिन की होगी शारदीय नवरात्रि? जानें महाष्टमी-महानवमी की सही तारीख
- 7 साल की कन्या को चंडी का रूप माना गया है, इन्हें पूजने से वैभव की प्राप्ति होती है.
- 8 साल की कन्या को शाम्भवी कहा जाता है, इन्हें पूजने से विवाद व गृह क्लेश खत्म होते हैं.
- 9 साल की कन्या दुर्गा का रूप होती है, इन्हें पूजने से शत्रुओं पर विजय मिलती है.
- 10 साल की कन्या सुभद्रा मानी जाती है, जो अपने भक्तों के सारे कष्ट दूर करती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी
- Log in to post comments