डीएनए हिंदीः हिंदू धार्मिक में हर शुभकार्य में भगवान सत्यनारायण की कथा की जाती है. भगवान सत्यनारायण की पूजा से सभी प्रकार के पाप कर्म से मुक्ति मिलती है और कष्ट से मुक्ति. सत्यनारायण का व्रत मार्गशीर्ष पूर्णिमा को रखा जाता है.
सत्यनारायण भगवान का व्रत रखने से सुख समृद्धि, स्वास्थ्य, धन और वैभव की प्राप्ति होती है. इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा-पाठ से देवी लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.
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सत्यनारायण भगवान का व्रत कब रखें
पूर्णिमा तिथि पर ही सत्यनारायण भगवान का व्रत रखा जाता है. पूर्णिमा 7 दिसंबर 2022 को सुबह 8 बजकर 1 मिनट से शुरू होकर 8 दिसंबर 2022 को 9 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी.
सत्यनारायण व्रत पूजा विधि (Satyanarayan Vrat Puja Vidhi)
गंगा स्नान या पानी में गंगा जल डालकर स्नान करने के बाद एक चौकी पर सत्यनारायण भगवान की प्रतिमाक स्थापित करें और चारों ओर केले के पत्ते बांध दें. इसके बादचौकी पर जल के भरा कलश रखें और देसी घी का दीपक जलाएं. अब भगवाह सत्यनारायण का षोडशोपचार पूजा करें और आरती करके कथा सुने और सुनाएं. इनके बाद प्रसाद में आटे का चूरन और पंचामृत के साथ फल और मिठाइयों का भोग लगाएं. प्रसाद में तुलसी दल जरूर डालें और पूजा के बाद प्रसाद का वितरण करें. इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें. गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करें और गाय को खाना खिलाएं.
सत्यानारायण व्रत पौराणिक कथा महत्व (Satyanarayan Vrat Katha Importance)
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार नारद जी ने भगवान विष्णु से कहा कि हे भगवन पृथ्वी लोक पर सभी बहुत ही दुखी प्रतीत होते हैं, क्या इसका कोई उपाय नहीं है. इस पर भगवान विष्णु ने कहा कि सत्यनारायण का व्रत रखने से सभी के कष्ट दूर हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि सत्य को जो भी भगवान समझकर पूजा करेगा उसके सभी पाप कट जाएंगे और पुण्यफल की प्राप्ति होगी.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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Satyanarayan Vrat : इस दिन रखा जाएगा भगवान सत्यनारायण का व्रत? जानिये पूजा विधि और महत्व