डीएनए हिंदीः क्या आपको पता है कि कुंडली में भी ग्रहण (Grahan Dosh In Kundali) लगता है. सूर्य और चंद्र ग्रहण (Solar and Lunar Eclipses) अगर किसी की कुंडली में लग जाए तो उसे बेहद कष्टकारी (Painfull) माना जाता है. वैसे ज्योतिष शास्त्र में 5 तरह के दोष कुंडली में सबसे खतरनाक (5 Types of Defects Dangerous in Horoscope) माने गए हैं.
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कुंडली में लगने वाले सबसे खरतनाक दोष (Most Dangerous Defects in Horoscope)
कुंडली के ये दोष वोे कष्ट हैं जो जातक के जीवन और भाग्य ही नहीं सेहत से लेकर सबंध तक पर असर डालते हैं. कुंडली के 5 दोष कौन-कौन से हैं और सूर्य और चंद्र ग्रहण कुंडली में होने पर क्या कष्ट मिलता है चलिए जानें.
1- गुरु स्थान दोष - यह दोष बृहस्पति के कारण बनता है. जिस भाव में बृहस्पति स्थित होता है उसका नाश कर देता है. अतः जिस स्थान में पाया जाता है वहां स्थान दोष दे देता है.
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2-बंधन दोष - यह योग विभिन्न ग्रहों के योग से बनता है लेकिन इसमें मंगल और शनि ही सबसे बुरे प्रभाव देते हैं. अष्टम भाव या छठवे भाव के खराब होने पर यह योग सरलता से बन जाता है.
3- केमद्रुम दोष -चन्द्रमा से बनने वाला ये योग सबसे बुरे दोष में से एक है. ये दोष तब बनता है जब चन्द्रमा के दोनों ओर या साथ में कोई ग्रह न हो और चन्द्रमा अकेला हो- किसी भी ग्रह की दृष्टि न हो तो यह दोष बन जाता है.
4- शनि दृष्टि दोष - यह दोष शनि के कारण बनता है. इसमें शनि की दृष्टि जिस भाव या जिस ग्रह पर पड़ती है उसका नाश हो जाता है. जिस ग्रह को शनि देख लेता है उस ग्रह का शुभ प्रभाव खत्म हो जाता है और वह ग्रह जीवन में समस्याएं देने लगता है.
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5- ग्रहण दोष - यह दोष सूर्य और चन्द्रमा दोनों से बनता है - सूर्य के साथ राहु हो या चन्द्र के राहु हो तो ग्रहण दोष बन जाता है - कोई भी ग्रहण दोष होने पर जीवन में सब कुछ रुक जाता है.
ग्रहण जब जातक की कुंडली में होता है तो ऐसे लोग कभी स्थिर नहीं रह पाते. ऐसे जातकों की हड्डियां कमजोर होती हैं और आत्म विश्वास भी कम होता जाता है. माता- पिता से सुख नहीं मिलता है और ऐसे लोगों को सरकार की ओर से दंड मिलता है. ये लोग घोर मानसिक कष्ट पाते हैं. इन्हें शीत रोग, शरीर में अकड़न, मुंह में थूक बना रहना या लकवा मारने, डिप्ररेशन जैसे कई रोग का सामना करना पड़ता है.
यदि सूर्य और शनि एक ही भाव में हों तो घर की स्त्री को कष्ट होता है. यदि सूर्य और मंगल साथ हों और चन्द्र और केतु भी साथ हों तो पुत्र, मामा और पिता को कष्ट होता है. जिन लोगों की कुंडली में सूर्य ग्रहण होता है उन्हें गृह कलह, असफलता, विवाह में देरी, संतान में देरी, संतान से पीड़ा भी झेलनी पड़ती है.
चंद्र ग्रहण कुंडली में हो ताे मानसिक रोग होते हैं, चंद्र के अशुभ होने की स्थिति में महसूस करने की क्षमता क्षीण हो जाती है. राहु, केतु या शनि के साथ होने से तथा उनकी दृष्टि चंद्र पर पड़ने से चंद्र अशुभ हो जाता है. ऐसे लोग पुरानी समय और बातों को याद करते रहते हैं, कल्पना में जीते हैं. बेहल इमोशनल होते हैं,
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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सूर्य और चंद्र ग्रहण कुंडली में भी लगते हैं, इन 5 दोष में सबसे खराब में होती हैं इनकी गिनती