डीएनए हिंदी: इस बार होलिका दहन (Holika Dahan 2023 Date) 7 मार्च और धुरेड़ी यानी होली (Holi 2023) 8 मार्च को मनाई जाएगी. सनातन धर्म में जितने भी त्योहार मनाए जाते हैं उनके साथ कोई न कोई कथा या परंपरा जरूर जुड़ी हुई होती है. ऐसी ही कुछ परंपराएं होली के साथ भी जुड़ी हैं. दरअसल देश के विभिन्न हिस्सों में होली से जुड़ी कई अजीबोगरीब (Dangerous Traditions Of Holi) परंपराएं प्रचलित हैं, इनमें से कुछ परंपराएं इतनी ख़तरनाक हैं कि इसकी वजह से किसी की जान भी जा सकती है. 

ज्यादातर लोग होली से जुड़ी इन परंपरओं के बारे में नहीं जानते हैं (Holi Traditions), क्योंकि ये सभी परंपराएं  स्थानीय तौर पर निभाई जाती हैं. ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसी ही परंपराओं के बारे में बताने वाले हैं, जिसके बारे में जानकर आप भी दंग रह जाएंगे. 

यहां लोग खेलते हैं खूनी होली (Khuni Holi, Rajasthan) 

राजस्थान के बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिले में रहने वाले आदिवासी जनजाति के लोग होली के दिन बहुत ही खतरनाक परंपरा निभाते हैं, इस परंपरा को खूनी होली भी कहा जाता है. दरअसल इस मौके पर पहले लोग जलते हुए अंगारों पर चलते हैं और बाद में वे दो अलग-अलग टोलियों में बंट जाते हैं और ये दोनों टोलियां एक-दूसरे को दुश्मन समझकर पत्थर बरसाने लगती है. इस अजीबोगरीब परंपरा के दौरान कई लोग गंभीर रूप से घायल भी हो जाते हैं. कहा जाता है कि जिन लोगों को इस दौरान खून निकलता है, उनका आने वाला समय अच्छा गुजरता है. 

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60 फीट ऊंचे मचान पर झूलाते हैं झूला 

होली के दिन सिवनी जिले के पांजरा गांव में एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है, यहां होलिका दहन के दूसरे दिन यानी धुरेड़ी पर मेघनाद मेले का आयोजन किया जाता है और रावण के पुत्र मेघनाद के प्रतीक के रूप में 60 फीट ऊंची मचान बनाई जाती है. इसके ऊपर लकड़ी से एक बड़ी चकरी बनाई जाती है और जिस व्यक्ति की मन्नत पूरी हो जाती है, उसे चकरी के एक सिरे पर बांधकर झूले की तरह घूमाया जाता है. ये दृश्य देखकर ही लोगों का सिर चकराने लगता है, लेकिन जिनकी मन्नतें पूरी होती हैं वे लोग हंसते-हंसते ये काम करते हैं. 

यहां होती है बिच्छू होली

बिच्छू का नाम सुनते ही मन में डर बैठ जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश के सौथना में होली के मौके पर बिच्छू होली मनाई जाती है. यहां के लोग होली पर नाचते-गाते हुए भैसान टीले पर जाते हैं और यहां बिच्छुओं को पकड़कर अपने हाथ पर रख लेते हैं और खास बात यह है कि इस दिन जहरीले बिच्छू किसी को डंक नहीं मारते. इस परंपरा में  बिच्छू पकड़ने वालों में छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक शामिल रहते हैं. यहां पर ये परंपरा सालों से चली आ रही है जिसे बिच्छू होली के नाम से जाना जाता है.

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यहां जलते अंगारों पर चलते हैं लोग

इन सभी के अलावा मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के सिलवानी क्षेत्र में होलिका दहन के मौके लोग धधकते हुए अंगारों पर नंगे पैर चलते हैं और इसमें बच्चे, बूढ़े महिलाएं सभी शामिल होते हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार ये परंपरा कई सौ सालों से चली आ रही है और लोग इस परंपरा में काफी विश्वास करते हैं. वे लोग मानते हैं कि ऐसा करने से उनके परिवार पर कोई मुसीबत नहीं आती है. इसके अलावा आज तक इस परंपरा में किसी को भी गंभीर चोट नहीं आई है. 

यहां पर पंडाजी करते हैं अग्नि स्नान

होली के दौरान मथुरा की रौनक देखते ही बनती हैं. इस मौके पर यहां एक खतरनाक परंपरा भी निभाई जाती है. दरअसल यहां फालैन गांव में होलिका दहन की रात मंदिर का पंडा जलती हुई अग्नि में से निकलता है. लेकिन इस परंपरा के दौरान आज तक किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. वर्तमान में यह परंपरा मोनू पंडा निभा रहे हैं और वे 10 बार जलती हुई होलिका में से निकल चुके है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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खूनी होली से लेकर अग्नि स्नान तक धुरेड़ी पर यहां निभाई जाती हैं खतरनाक परंपराएं
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खूनी होली से लेकर अग्नि स्नान तक धुरेड़ी पर यहां निभाई जाती हैं खतरनाक परंपराएं

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खूनी होली से अग्नि स्नान तक धुरेड़ी पर यहां होती हैं खतरनाक रस्म, देखकर खड़े हो जाते हैं रोएं