डीएनए हिंदी: भगवान श्रीकृष्ण ने अपने इस मूल अवतार में केवल 8 शादियां ही की थीं, लेकिन अन्य अवतारों या स्वरूप धारण कर उन्होंने करीब 16108 शादियां की थीं. सत्यभामा और रुक्मिणी के अलावा उनकी पत्नियों में और कौन था और किससे कब शादी की इसके बारे में आपको इस खबर में बताएंगे.
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महाभारत के अनुसार श्रीकृष्ण की सबसे बड़ी रानी रुक्मिणी थीं. उन्होंने उनका हरण कर उनके साथ विवाह रचाया था क्योंकि रुक्मिणी के अपहरण के बाद श्रीकृष्ण ने ये शादी की थी इसलिए इसे राक्षस विवाह का नाम दिया गया था. विदर्भ के राजा भीष्मक की बेटी रुक्मणि भी श्रीकृष्ण से प्रेम करती थीं लेकिन उनके भाई ने उनका विवाह किसी और से तय कर दिया गया था, तब श्रीकृष्ण ने बल पूर्वक रुक्मिणी का हरण करने के बाद द्वारका आए और तब उनसे विवाह किया.
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राजा सत्राजित की पुत्री सत्यभामा श्रीकृष्ण की तीन महारानियों में एक थीं. सूर्य के के परम भक्त सत्राजित को सूर्यदेव ने प्रसन्न होकर स्यमंतक मणि प्रदान की थी लेकिन ये मणि एक बार खो गई और तब सत्राजित को ये शक हुआ कि ये मणि श्रीकृष्ण ने चुराई है. हालांकि कृष्ण ने इसे नहीं चुराया था और इस मणि को वह जंगल से खोज कर लाए और राजा को दे दिया. तब राजा सत्राजित लज्जित हो गए और क्षमा याचना के तौर पर राजा ने अपनी बेटी सत्यभामा का विवाह कृष्ण से कर दिया, साथ ही उसने वो मणि भी कृष्ण को देनी चाही लेकिन उन्होंने उसको लेने से मना कर दिया.
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जांबवती से विवाह के पीछे भी एक पौराणिक कथा है. कृष्ण जब मणि की खोज में जंगल में गए थे तब वह ऋक्षराज जांबवान की गुफा तक पहुंचे और देखा कि एक बालक को स्यमंतक मणि से खेल रहा है. अनजान व्यक्ति को देखकर बालक डर गया और वह शोर मचाने लगा, तब जांबवान ने कृष्ण से युद्ध शुरू कर दिया. कुछ ही देर में जांबवान ने कृष्ण को पहचान लिया और न केवल मणि लौटाई बल्कि अपनी बेटी जांबवती से उनका विवाह भी कर दिया था.
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भगवान कृष्ण की श्रुतकीर्ति नामक बुआ कैकेई देश में रहती थी. उनकी भद्रा नामक एक कन्या थी. भद्रा और उसके भाई कृष्ण से उसका विवाह करना चाहते थे. अपनी बुआ और भाइयों की इच्छा पूरी करने के लिए कृष्ण ने पूरे विधि-विधान से भद्रा के साथ विवाह किया.
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अवंतिका (उज्जैन) देश के राजा विंद और अनुविंद थे. वे दुर्योधन के वंशवर्ती तथा उसके अनुयायी थे. मित्रविंदा श्रीकृष्ण की फुआ राजाधिदेवी की कन्या थीं. उसकी शादी के लिए स्वयंवर का आयोजन किया गया. इसमें श्रीकृष्ण भी पहुंचे. मित्रविंदा खुद कृष्ण से विवाह करना चाहती थीं. मित्रविन्दा का भाई दुर्योधन से अपनी बहन का विवाह करना चाहता था. तब कृष्ण ने सभी विरोधियों के सामने मित्रविंदा का हरण कर लिया. उन्होंने मित्रविंदा के दोनों भाई विंद-अनुविंद को पराजित कर उनका हरण किया. फिर विवाह कर लिया.
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कृष्ण ने लक्ष्मणा से स्वंयवर में विवाह किया था. नीचे पानी में मछली की परछाई देखकर ऊपर मछली पर निशाना लगाना था. कृष्ण ने ऐसा कर दिया और तब उनका विवाह लक्ष्मणा हुआ था.
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श्रीकृष्ण जब पांडवों से मिलने के लिए इंद्रप्रस्थ पहुंचे तो युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव, द्रौपदी और कुंती ने उनका आतिथ्य-पूजन किया. इस दौरान एक दिन अर्जुन को साथ लेकर भगवान कृष्ण वन विहार के लिए निकले.जिस वन में वे विहार कर रहे थे वहां पर सूर्य पुत्री कालिन्दी, श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने की कामना से तप कर रही थी. कालिन्दी की मनोकामना पूर्ण करने के लिए श्रीकृष्ण ने उसके साथ विवाह कर लिया.
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राजा नग्नजित की पुत्री का नाम था नग्नजिती. वह सुंदर और बेहद गुणवान थी. राजा ने उसके विवाह के लिए एक मुश्किल शर्त रख दी कि जो क्षत्रीय सात बैलों पर जीत प्राप्त करेगा, उसी के साथ वो अपनी बेटी की शादी करेंगे. कृष्ण ने ये काम कर दिखाया. राजा ने उनका ये पराक्रम देखने के साथ खुशी खुशी अपनी बेटी की शादी उनसे कर दी.