Ravana Temples in India: भगवान राम ने माता सीता का अपहरण करने वाले दुराचारी राक्षस और लंकापति रावण का वध किया था. इसकी खुशियां हम हर साल विजयदशमी यानी दशहरा के दिन मनाते हैं. इसे असत्य पर सत्य की जीत का पर्व माना जाता है. भले ही रावण को रामायण में राक्षस माना गया हो, लेकिन वास्तव में रावण बहुविद्याओं का जानकार विद्वान और महापंडित था. ब्राह्मण परिवार में जन्मे रावण के महाज्ञानी रूप का लोहा भगवान राम भी मानते थे. इसी कारण उन्होंने अंतिम सांस ले रहे रावण से ज्ञान हासिल करने के लिए लक्ष्मण को उनके समक्ष जाने के लिए कहा था. रावण के इस महाज्ञानी रूप को आज भी भारत में कई जगह अलग-अलग नजरिये से तवज्जो दी जाती है. इन जगहों पर रावण को राक्षस मानने के बजाय देवता की तरह पूजा जाता है. यहां तक कि बाकायदा उसके मंदिर भी बनाए गए हैं. ऐसी ही कुछ जगहों के बारे में हम आपको बता रहे हैं.
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उत्तर प्रदेश के दिल्ली से सटे नोएडा (Noida) के ग्रेटर नोएडा वेस्ट (Greter Noida West) में बिसरख गांव स्थित है. बिसरख गांव के लोगों का दावा है कि यह रावण का जन्म स्थल था. ग्रामीणों के मुताबिक, गांव का नाम रावण के पिता विश्रवा मुनि के नाम पर है. यहां ऋषि विश्रवा और उनका पुत्र रावण भगवान शंकर की उपासना करते थे. करीब एक सदी पहले खुदाई में बेहद गहराई पर मिले अद्भुत शिवलिंग को रावण की पूजा वाला शिवलिंग माना जाता है. इस शिवलिंग को यहां मंदिर बनाकर स्थापित किया गया है, जिसमें रावण की भी पूजा होती है. बिसरख गांव के लोग कभी दशहरे पर रावण के पुतले को नहीं जलाते हैं.
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राजस्थान के जोधपुर का भी गोधा श्रीमाली समुदाय खुद को रावण का वंशज मानता है. उनकी मान्यता है कि जोधपुर के मंडौर इलाके में रावण की पत्नी मंदोदरी का जन्म हुआ था और यहीं उन दोनों का विवाह हुआ था. यहां किला रोड स्थित अमरनाथ महादेव मंदिर में रावण और मंदोदरी के मंदिर भी बने हुए हैं, जिनमें उनकी पूजा की जाती है. दशहरे के दिन गोधा श्रीमाली समुदाय शोक मनाता है और रावण दहन हो जाने के स्नान करने के बाद फिर से यज्ञोपवीत धारण करते हैं. इस समुदाय का मानना है कि वे लंका में रावण वध के बाद उसके बचे हुए वंशजों का अंश हैं, जो भागकर जोधपुर आ गए थे और यहां बस गए थे.
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मध्य प्रदेश के मंदसौर निवासी इसे रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका बताते हैं. मान्यता है कि यहीं पर रावण और मंदोदरी का विवाह हुआ था. मंदोदरी के नाम पर ही यह जगह मंदसौर कहलाई. यहां के लोग रावण को दामाद मानते हैं. यहां रावण का मंदिर बना हुआ है, जिसमें उसे रुण्डी नाम से पूजा जाता है. दामाद होने के कारण महिलाएं घूंघट करके रावण की पूजा करती हैं.
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मध्य प्रदेश के विदिशा के रावणग्राम गांव में रावण का मंदिर मौजूद है, जिसमें रावण की 10 फुट लंबी लेटी हुई मूर्ति है. विदिशा के लोगों का दावा है कि रावण की पत्नी मंदोदरी का जन्म यहीं पर हुआ था. यहां दशहरे के दिन रावण का पुतला दहन करने के बजाय उसकी विशेष पूजा की जाती है.
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उत्तर प्रदेश के कानपुर के शिवाला इलाके के रावण मंदिर के कपाट साल में केवल दशहरे के दिन खोले जाते हैं. दशहरे पर रावण की मूर्ति को पूरे विधिविधान से दूध से स्नान-अभिषेक करने के बाद उसका शृंगार किया जाता है और फिर पूजा-आरती भी की जाती है. यहां तेल के दीये जलाने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होने की मान्यता है.
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आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में भी रावण का एक मंदिर है, जिसकी स्थापना स्वयं रावण द्वारा किए जाने का विश्वास है. मान्यता है कि इस मंदिर में लगे शिवलिंग को खुद रावण ने स्थापित किया था. यहां रावण की भगवान शिव के प्रति भक्ति को दिखाया गया है.
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कर्नाटक के कोलार में भी रावण की पूजा होती है. कोलार की मालवल्ली तहसील में रावण का मंदिर मौजूद है, जिसमें रावण को भगवान शिव का सबसे बड़ा भक्त मानकर उसकी पूजा की जाती है.
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हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में भी रावण की पूजा की जाती है. यहां मान्यता है कि बैजनाथ कांगड़ा में ही रावण ने भगवान शिव को तपस्या करके प्रसन्न किया था, जिससे शिव प्रकट हुए थे. इस कारण कांगड़ा के लोग रावण को महाशिव भक्त मानकर उसकी पूजा करते हैं. यहां मान्यता है कि यदि किसी ने रावण दहन किया तो उसकी मौत हो जाएगी.
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मेरठ में भी सदर थाने के पीछे स्थित बिल्वेश्वर महादेव मंदिर में भले ही रावण की मूर्ति मौजूद नहीं है, लेकिन दशहरा के दिन यहां भी शोक मनाया जाता है. मान्यता है कि मेरठ का पुरातन नाम मयराष्ट्र था और यह मंदोदरी के पिता मय दानव की राजधानी था. मंदोदरी बिल्वेश्वर महादेव मंदिर में भी भगवान शिव की पूजा करने आती थी. इस कारण मेरठ वासी भी अपने शहर को रावण की ससुराल मानते हैं.
Short Title
भारत की 8 जगह, जहां राक्षस नहीं देवता की तरह मंदिर में पूजा जाता है रावण