ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत अपनी सुरक्षा को लगातार मजबूत कर रहा है. इस बीच, सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस ने आज नए काउंटर ड्रोन सिस्टम भार्गवस्त्र का सफल परीक्षण किया, जो पूरी तरह सफल रहा. यह प्रणाली ड्रोन के बढ़ते खतरे से निपटने में बहुत उपयोगी होगी.
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भार्गवस्त्र एक कम लागत वाली ड्रोन रोधी प्रणाली है और यह हमेशा हार्ड किल मोड में काम करती है. हार्ड किल मोड का अर्थ है कि यह ड्रोन को सीधे नष्ट कर देता है. इस प्रणाली का नाम भार्गवस्त्र है, जो महाभारत काल से संबंधित है. भार्गवास्त्र महाभारत में वर्णित दिव्य अस्त्रों में से एक है. आइये जानें कि इस अस्त्र का ऋषि भार्गव से क्या संबंध है.
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भार्गवास्त्र महाभारत काल से जुड़ा हुआ है और इस अस्त्र का प्रयोग महाभारत युद्ध के 17वें दिन किया गया था. भार्गवास्त्र परशुराम द्वारा बनाया गया सबसे शक्तिशाली हथियार था, इस हथियार में एक पूरे ग्रह को नष्ट करने की क्षमता थी. इस हथियार का नाम सप्तऋषियों में से एक ऋषि भृगु के नाम पर रखा गया है. इस नाम से प्रेरणा लेते हुए, भारत सरकार ने एक परिष्कृत माइक्रो-मिसाइल आधारित काउंटर ड्रोन प्रणाली विकसित की है. काउंटर ड्रोन प्रणालियाँ आधुनिक युद्ध को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगी.
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महाभारत की कथा के अनुसार, 17वें दिन जब कर्ण कौरव सेना का सेनापति था, तब वह युधिष्ठिर और उसकी सेना से युद्ध कर रहा था. सेनापति कर्ण ने युधिष्ठिर को इतनी बुरी तरह पराजित किया कि उन्हें युद्धभूमि से भागना पड़ा. दूसरी ओर, पराक्रमी अर्जुन भी एक-एक करके कौरव योद्धाओं का वध कर उनकी सेना का नाश कर रहे थे.
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अर्जुन को युद्ध करते देख दुर्योधन भयभीत हो गया और कर्ण के पास गया तथा उससे कुछ करने को कहा. अपने मित्र की सलाह पर कर्ण ने भगवान परशुराम द्वारा दिया गया विजय धनुष खींचा और भार्गवास्त्र का आह्वान किया. इस अस्त्र का प्रभाव इतना जबरदस्त था कि करोड़ों बाण और अस्त्र-शस्त्र अपने आप ही युद्ध भूमि से निकलकर पांडव सेना का नाश करने लगे, जिससे सर्वत्र हाहाकार मच गया. कुरुक्षेत्र की भूमि पांडव सेना के शवों से भर गई थी और खून से रंग गई थी.
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पांडव सेना भार्गवास्त्र के प्रभाव को देखकर चकित थी और इस विनाशकारी और भयानक अस्त्र के सामने कुछ भी नहीं कर सकी. कुरुक्षेत्र में पांडव सेना से लड़ने वाले प्रत्येक सैनिक ने अर्जुन को पुकारना शुरू कर दिया. यहां तक कि अर्जुन भी इस दिव्य अस्त्र के विरुद्ध कुछ नहीं कर सके और उन्होंने यह बात भगवान कृष्ण को भी बताई. अर्जुन को इस दिव्य अस्त्र से बचाने के लिए भगवान कृष्ण कपिध्वज नामक रथ को युद्धभूमि से दूर युधिष्ठिर के शिविर में ले गए. दरअसल भगवान कृष्ण ने इसके जरिए कर्ण को हराने की योजना बनाई थी. भगवान कृष्ण ने सेनापति कर्ण को हराने के लिए ऐसा किया था.
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कर्ण ने अर्जुन के साथ अंतिम युद्ध में दूसरी बार भार्गवस्त्र का प्रयोग किया. जब अर्जुन और कर्ण एक दूसरे से युद्ध कर रहे थे तो वह दृश्य देखने लायक था. दो महान योद्धा एक दूसरे से लड़ रहे थे और एक दूसरे पर कई दिव्य अस्त्रों का प्रयोग कर रहे थे. युद्ध के दौरान अर्जुन ने कर्ण पर वज्र का प्रयोग किया. वज्रास्त्र की शक्ति इतनी अधिक थी कि उसके प्रभाव से हजारों दिव्य अस्त्र स्वतः ही युद्ध भूमि से निकल पड़े, जो कर्ण पर जा लगे. वज्रास्त्र का प्रतिकार करने के लिए कर्ण ने भार्गवास्त्र का प्रयोग किया.
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भार्गवास्त्र को इंद्रास्त्र से भी अधिक शक्तिशाली माना जाता था और यह महाभारत युद्ध में प्रयुक्त सबसे खतरनाक अस्त्र था. यह अस्त्र स्वयं परशुराम ने कर्ण को दिया था, इस अस्त्र को केवल वही रोक सकता है जो इसका प्रयोग कर सकता है. इस अस्त्र में ब्रह्मशीर्ष अस्त्र के समान अपार शक्ति थी. इस अस्त्र में पूरे ग्रह को नष्ट करने की क्षमता थी क्योंकि इस अस्त्र में भृगु वंश के परशुराम सहित सभी ऋषियों की शक्ति समाहित थी. केवल नारायणास्त्र ही इस अस्त्र का प्रतिकार कर सकता था; किसी अन्य हथियार में इसे रोकने की शक्ति नहीं थी.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी सामान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)
Destroying enemy drones has become easier with Bhargavastra Missile, knows the meaning of its name and to which warrior was this weapon given by Parshuram?