डीएनए हिंदी: 10 सितंबर 2022 से पितृ-पक्ष (Pitru Paksha 2022) की शुरुआत हो रही है. पितृ-पक्ष के दौरान पितरों के आत्मा की शांति के लिए लिए कई अलग अलग विधि अपनाई जाती है. ऐसे में मान्यता यह है कि पीपल, बरगद और बेल के वृक्ष पितरों के समान हैं. इनकी सेवा से पितरों को संतुष्टि मिलती है. ऐसे में इन तीन पेड़ों की पूजा करने से इसका फल पितरों को मिलता है. पितृपक्ष के समय इन वृक्षों की पूजा करने के साथ साथ इन्हें वृक्षों को लगाना भी बेहद शुभ माना गया है.
इन तीन वृक्षों की पूजा से पितृ होते हैं प्रसन्न
पीपल हिंदू धर्म मे पीपल के पेड़ को पवित्र माना जाता है. कई शुभ कार्यों में पीपल की पूजा होती है. पितृपक्ष (Pitru Paksha 2022) के दौरान पीपल के पेड़ की पूजा करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है. पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु के साथ साथ पितरों का भी वास होता है. पितृपक्ष के दौरान पीपल के पेड़ की पूजा करना या पीपल का पेड़ लगाना शुभ माना जाता है.
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बरगद मान्यता है कि अगर पितरों को मुक्ति न मिले तो बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान शिव की पूजा आराधना करनी चाहिए. साथ ही बरगद का पेड़ लगाने से पितृ प्रसन्न होतें हैं.
एक किस्से के मुताबिक़ जब सीता, राम के साथ गया में पिंड दान के लिए गयी हुई थीं. राम जब श्राद्ध का सामान लेने गए हुए थे तभी उनके पितर पिंड लेने के लिए उपस्थित हो गए. सीता ने गाय, केतकी फूल, फल्गु, वट वृक्ष आदि को गवाह मानकर समर्थन कर दिया. राम के लौटने पर इनमें केवल वट ने सीता के पक्ष में गवाही दी और सीता ने उसे अक्षय रहने का वरदान दिया.
बेल अमावस्या के दिन भगवान शिव को बेल पत्र और गंगाजल अर्पित करना चाहिए. यह करने से सभी पितरों को तृप्ति मिल जाती है. भगवान शिव को अत्यंत प्रिय बेल का पेड़ लगाने से अतृप्त आत्मा को शान्ति मिलती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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Pitru Paksha 2022: श्राद्ध के दिनों में पूजा जाता है इन तीन तरह के पेड़ों को, सीता से जुड़ती है कहानी