डीएनए हिंदी: राजस्थान के सीकर में स्थित खाटू श्याम जी का मंदिर कृष्ण के मंदिरों से भी ज्यादा प्रसिद्ध है. इसकी वजह उन्हें खुद कृष्ण भगवान का आर्शिवाद प्राप्त होना है. उन्हें भक्त कलियुग के अवतार, हारे का सहारा से लेकर लखदाता के नाम से भी पुकारा जाता है. सीकर जिले में स्थित खाटू गांव में बने खाटू श्याम के मंदिर की देश ही नहीं विदेशों में भी मान्यता है. यहां हर दिन लाखों की संख्या में भक्त खाटू श्याम जी के दर्शन करने पहुंचते थे. इसी की वजह से मंदिर में आने वाले भक्तों की भीड़ और असुविधा को देखते हुए निमार्ण कार्य किया गया है. तीन महीने बाद 15 जनवरी को खाटू श्याम मंदिर खुलेगा. आज हम आपको बाबा खाटू श्याम के कलियुग के अवतार बनने से लेकर उनके मंदिर के निर्माण तक पूरी कहानी बताएंगे.
महाभारत काल से हैं बाबा खाटू श्याम
कलियुग के अवतार बाबा खाटू श्याम का संबंध महाभारत काल से है. ये पांडुपुत्र भीम के पोते बर्बरीक थे. बताया जाता है कि श्री कृष्ण ने बर्बरीक ने अपने शीश का दान दे दिया था. उनकी इसी निष्ठा, शक्तियों और विश्वास से खुश होकर श्री कृष्ण ने इन्हें कलियुग में अपने नाम से पूजने का वरदान दिया था.
ये है खाटू श्याम जी की पूरी कहानी
बताया जाता है कि जब पांडव वनवास के दौरान, अपनी जान बचाते हुए इधर-उधर घूम रहे थे. तब भीम का सामना हिडिम्बा से हुआ था. हिडिम्बा ने भीम से एक पुत्र को जन्म दिया, जिसे घटोखा कहा जाता था. घटोखा से पुत्र बर्बरीक हुए, बर्बरीक अपनी शक्तियों और वीरता के लिए जाने जाते थे. कौरव और पांडवों के बीच युद्ध वाले था. बर्बरीक महाभारत के इसी युद्ध को देखने जा रहे थे. इसी दौरान उन्हें श्री कृष्ण मिले. भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक को रोककर पूछा कि आप युद्ध में किस का साथ देंगे. तब उन्होंने कहा कि जो हारेगा. बर्बरीक ने कहा कि जो हारेगा. वे उसका साथ देंगे. कृष्ण महाभारत युद्ध का परिणाम जानते थे और उन्हें डर था कि ये कहीं पांडवों के लिए उल्टा न पड़ जाए. श्री कृष्ण जी ने बर्बरीक से दान में उनसे सिर मांग लिया. बर्बरीक ने शीश दान में देकर श्री कृष्ण से युद्ध देखने की इच्छा जाहिर की. इस पर श्री कृष्ण ने उनका सिर युद्ध वाली जगह पर रख दिया. युद्ध के बाद पांडव लड़ने लगे और जीत के श्रेय को लेकर भिड़े. इस पर बर्बरीक ने कहा कि श्री कृष्ण वजह से से उन्हें जीत मिली है. श्री कृष्ण इस बलिदान से काफी खुश हुए और उन्हें कलियुग में श्याम के नाम से पूजे जाने का वरदान दिया.
ऐसे बना था बाबा खाटू श्याम मंदिर
कहा जाता है कि 1027 ई में कलयुग की शुरुआत हुई थी. राजस्थान के सिकर खाटू गांव में उनका सिर मिला था. उनके सिर का तब पता चला कि खड़ी गाय के थन से दूध बहने लगा. इस पर लोगों ने खुदाई की तो बाबा खाटू श्याम जी शीश मिला. अब लोगों के बीच दुविधा शुरू हो गई कि इस सिर का क्या करेंगे. इस पर एक पुजारी को सिर सौंप दिया गया. इसी दौरान तत्कालीन शासन रूप सिंह को मंदिर बनवाने का सपना आया. इसी के बाद रूप सिंह चौहान के कहने पर इस जगह पर खाटूश्याम की मूर्ति स्थापित की गई.
ऐसे जा सकते हैं खाटू श्याम
खाटू श्याम जी का मंदिर राजस्थान के सिकर जिले में स्थित खाटू गांव में है. यह जयपुर से करीब 80 किलोमीटर दूर है. इस से करीब 18 किलोमीटर दूर रिंगस रेलवे स्टेशन है. रेलवे स्टेशन से मंदिर जाने के लिए आप टैक्सी या जीप का इस्तेमाल कर सकते हैं. यहां से लोग बाबा की पैदल परिक्रमा भी देते थे. वहीं जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से मंदिर की दूरी करीब 95 किमी है.
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खाटू श्याम जी को कलियुग में पूजने की ये है बड़ी वजह, जानकर आप भी बन जाएंगे इनके भक्त