डीएनए हिंदी: Vidur Niti- महाभारत में महात्मा विदुर का महत्वपूर्ण योगदान था. उन्होंने महाभारत काल में धृतराष्ट्र को न्याय से जुड़ी बातों को बताया था. उन्हें राजनीति और कूटनीति में पारंगत हासिल थी. महात्मा विदुर ने स्वयं द्वारा रचित विदुर नीति में मनुष्य के कल्याण के लिए कई ऐसी बाते बताई हैं जिनको जानना जरूरी हो जाता है. विदुर नीति के इस भाग में आइए जानते हैं व्यक्ति को किन चीजों को समझना चाहिए.
आत्मज्ञानं समारम्भः तितिक्षा धर्मनित्यता।
यमर्थान्नापकर्षन्ति स वै पण्डित उच्यते॥
विदुर नीति के इस श्लोक में बताया गया है कि जो व्यक्ति अपनी योग्यता से पूरी तरह परिचित है और वह उसी के अनुसार कार्य है. साथ ही जिसका दुख के समय सहनशक्ति नहीं डगमगाता है और जो किसी भी विपरीत परिस्थिति में धर्म को नहीं छोड़ता है वही सच्चा ज्ञानी कहलाता है.
श्रुतं प्रज्ञानुगं यस्य प्रज्ञा चैव श्रुतानुगा।
असम्भित्रायेमर्यादः पण्डिताख्यां लभेत सः॥
महात्मा विदुर के अनुसार जो व्यक्ति ग्रंथ और शास्त्रों से विद्या ग्रहण करता है और उसके अनुरूप ढल जाता है और काम करता है. साथ अपनी मर्यादा का कभी उल्लंघन नहीं करता है वही व्यक्ति ज्ञानी या पंडित कहलाता है.
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एको धर्म: परम श्रेय: क्षमैका शान्तिरुक्तमा।
विद्वैका परमा तृप्तिरहिंसैका सुखावहा॥
विदुर नीति के अनुसार धर्म का मार्ग ही सबसे कल्याणकारी मार्ग है. इस श्लोक के अनुसार क्षमा देना ही शांति का सबसे अच्छा उपाय है. ज्ञान ही व्यक्ति को संतोष देता है और सिर्फ अहिंसा से ही व्यक्ति को सुख की प्राप्ति होती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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Vidur Niti: क्षमा, ज्ञान और अहिंसा पर हो बात तो ज़रूर रखें इन चीज़ों का ध्यान