डीएनए हिंदी: हिन्दू धर्म में शंख का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इसकी ध्वनि से वातावरण शुद्ध हो जाता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. सनातन धर्म में इसे सुख, समृद्धि, विजय, शांति और माता लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है. इसका वर्णन वेद -पुराणों में भी किया गया है. महाभारत में भी श्री कृष्ण ने अपने शंख पांचजन्य ( Panchajanya Shankh ) का प्रयोग युद्ध में किया था. बता दें कि तीन तरह के शंख प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं. दक्षिणावृत्ति शंख, मध्यावृत्ति शंख और वामावृत्ति शंख. इन सबमें श्री कृष्ण का पांचजन्य विशेष स्थान रखता है साथ ही यह बहुत दुर्लभ शंख है. आइए जानते हैं क्यों है पांचजन्य शंख सबसे दुर्लभ.
कैसे हुई थी पांचजन्य शंख ( Panchajanya Shankh ) की उत्पत्ति
महाभारत के अनुसार इस शंख की उत्पत्ति समुद्र मंथन के समय हुई थी. इसमें निकले 14 रत्नों में से छठ रत्न पांचजन्य शंख ही था. मान्यता यह है कि एक दैत्य ने भगवान श्री कृष्ण के गुरु के पुत्र पुनरदत्त का अपहरण कर लिया था. जब इसका पता भगवान श्री कृष्ण को चला तो वे गुरु पुत्र को बचाने के लिए दैत्य नगरी पहुंच गए. उन्होंने देखा कि शंख के भीतर दैत्य सो रहा था. श्री कृष्ण ने दैत्य को मारकर उस शंख को अपने पास ही रख लिया. इसके बाद उन्हें पता चला कि पुनरदत्त यमलोक चला गया है. भगवान भी उस तरफ चल पड़े. जब यमदूतों ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया तब श्री कृष्ण ने पांचजन्य से शंखनाद किया जिसके कारण पूरा यमलोक हिलने लगा.
इसे देख स्वयं यमराज ने गुरु पुत्र की आत्मा को श्री कृष्ण के हाथ में सौंप दिया. तब श्री कृष्ण अपने गुरु पास शंख और उनके पुत्र को लेकर पहुंचे और दोनों को गुरु के समक्ष प्रस्तुत कर दिया. तब गुरुदेव ने उन्हें शंख वापस लौटाते हुए कहा कि यह शंख तुम्हारे लिए ही बना है. तब भगवन श्री कृष्ण ने एक बार फिर शंखनाद कर पुराने युग को समाप्त कर दिया.
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कौरवों की सेना में भय पैदा कर देती थी इस शंख की ध्वनि
कहा जाता है कि महाभारत के रण में भगवान श्री कृष्ण द्वारा किए गए शंखनाद से कौरवों के भीतर भय पैदा हो जाता था. माना यह भी जाता है इसकी ध्वनि कई किलोमीटर तक पहुंचती थी और इसकी गर्जना शेर की दहाड़ से भी कई गुना भयानक थी. इसके बनावट की बात करें तो इसमें 5 उंगलियों की आकृति बनी होती है और घर पर इसकी स्थापना करने से वस्तु दोष समाप्त हो जाता है.
महारभरत में किया गया है इस शंख का वर्णन
जैसा कि अब तक आप जान चुके हैं कि भगवान श्री कृष्ण के शंख का नाम पांचजन्य ( Panchajanya Shankh ) था, उसी प्रकार धनुर्धर अर्जुन के शंख का नाम देवदत्त, युधिष्ठिर के शंख का नाम अनंतविजय, भीष्म पितामह के शंख का नाम पोंड्रिक, नकुल के शंख का नाम सुघोष और सहदेव के पास मणिपुष्पक नामक शंख था.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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Panchajanya Shankh : जानिए क्या है भगवान श्री कृष्ण के शंख की कहानी