डीएनए हिंदी : हर साल आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा (Purnima) मनाई जाती है.इस दिन पुराणों के रचना करने वाले व वेदों के विभाजन करने वाले महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था.उन्हें चारों वेदों का ज्ञान था, इसलिए वेद व्यास को प्रथम गुरु माना गया है. गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु का पूजन व सम्मान करने का विशेष महत्व है.शास्त्रों में गुरु का स्थान सर्वोच्च बताया गया है.गुरु को भगवान से भी ऊपर दर्जा प्राप्त है.इस बार गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई को है. इस बार गुरु पूर्णिमा पर विशेष संयोग बन रहे हैं.आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा के दिन किस तरह से करें गुरु की पूजा और क्या है इसका महत्व. इस दिन पर खास चार संयोग बन रहे हैं.
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गुरु पूर्णिमा शुभ मुहूर्त व पूजा विधि (Guru Purnima dates, tithi and shubh muhurat)
हिंदू पंचांग (Hindu Calendar) के अनुसार 13 जुलाई को प्रात 4 बजे से शुरू गुरु पूर्णिमा शुरू हो जाएगी, जो 13 जुलाई की रात 12 बजकर 6 मिनट पर खत्म होगी. इस शुभ घड़ी में आप सुबह स्नान करने के बाद घर के मंदिर में अपने आराध्य देवता की विधि विधान से पूजा करें.इसके पश्चात् अपने पहले गुरु यानी माता-पिता का पैर छूकर आशीर्वाद लें. गुरु पर्णिमा के दिन गुरुजनों की पूजा करने के विधान है.
इसलिए आप अपने गुरु के लिए पीताम्बर, नारियल, पुष्प, मिष्ठान, कपूर, लौंग लेकर गुरु के घर जाएं और गुरु का पैर छूकर आशीर्वाद लें. साथ ही गुरु की विधि-विधान से पूजा करें. मान्यता है कि जो शिष्य गुरु पुर्णिमा के दिन सच्चे मन से अपने गुरू की पूजा करता है उसे हर कार्यों में सफलता मिलती है.
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गुरु पूर्णिमा पर बन रहा विशेष संयोग (Guru Purnima 2022 Auspicious Day and Yog)
ज्योतिष शास्त्र की मानें तो गुरु पुर्णिमा के दिन गुरु का पूजन करना कल्याणकारी होता है. इस बार गुरु पूर्णिमा के दिन मंगल, बुध, गुरु और शनि बेहद शुभ स्थिति में रहेंगे. जिससे रुचक, भद्र, हंस और शश नाम के चार राजयोग बन रहे हैं. गुरुपूर्णिमा बुधवार के दिन पड़ने एवं सूर्य और बुध के एक ही राशि में होने से बुधादित्य योग का निर्माण भी हो रहा है.
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Guru Purnima 2022: इस साल क्यों खास है यह दिन,जानें पूजा विधि, तारीख और कैसे बनेंगे 4 संयोग