डीएनए हिंदी: अगर एक व्यक्ति अपने जीवन में महत्वपूर्ण मूल्यों को नजदीक से समझना चाहता है तो उसे चाणक्य नीति (Chanakya Niti) का अध्ययन जरूर करना चाहिए. आचार्य चाणक्य ने जीवन के कई रहस्यों से पर्दा उठाया है. शक्ति और बुद्धि के मेल से सफलता कैसे हासिल की जाती है इसके विषय में चाणक्य नीति में विस्तार से बाताया गया है. आचार्य चाणक्य ने संतान के संबंध में भी कुछ ऐसी बातें बताई हैं, जिन्हें हर किसी को समझना चाहिए.
मूर्खश्चिरायुर्जातोऽपि तस्माज्जातमृतो वरः।
मृतः स चाऽल्पदुःखाय यावज्जीवं जडो दहेत्।।
चाणक्य नीति ( Acharya Chanakya ) के अनुसार दीर्घ आयु वाले मूर्ख पुत्र की अपेक्षा पैदा होते ही मर जाने वाले पुत्र से बेहतर होते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि पैदा होते ही मर जाने वाले पुत्र का दुख थोड़े समय तक ही रहता है, जबकि लंबी आयु वाला मूर्ख पुत्र मृत्यु के समय तक दुख देता है.
किं तया क्रियते धेन्वा या न दोग्ध्री न गर्भिणी।
कोऽर्थः पुत्रेण जातेन यो न विद्वान् भक्तिमान्।।
आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति में लिखा है कि जिस प्रकार दूध न देने वाली व गर्भ धारण न करने वाली गौ से कोई लाभ नहीं होता, उसी तरह यदि पुत्र विद्वान न हो और माता-पिता की सेवा न करता हो तो उससे भी किसी प्रकार से लाभ नहीं होता है.
वरमेको गुणी पुत्रो निर्ग्रणैश्च शतैरपि।
एकश्चन्द्रस्तमो हन्ति न च ताराः सहस्त्रशः।।
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में बताया है कि सैकड़ों मूर्ख पुत्रों की तुलना में केवल एक विद्वान और गुणों से परिपूर्ण पुत्र से ही परिवार का कल्याण हो जाता है. जिस प्रकार रात्रि के समय आकाश में हजारों तारे दिखाई देते हैं, परंतु अंधकार दूर करने में अफल होते हैं. मगर एक अकेला चन्द्रमा उसी अंधकार को दूर कर देता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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Chankya Niti: सैंकड़ों मूर्ख संतान से अच्छा है एक गुणी संतान हो