डीएनए हिंदी : ज़िन्दगी में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है, कहीं यह आपकी कुंडली का प्रभाव तो नहीं? कुंडली में जब ग्रह अस्त होते हैं तो ज़िन्दगी की रफ़्तार धीमी हो जाती है.
कई बार कुंडली में जब कोई ग्रह सूर्य के पास जाकर अस्त होता है तो उसके प्रभाव ख़त्म हो जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी ग्रह के अस्त होने पर अमुक गृह के सभी प्रभाव, बल और शक्ति क्षीण हो जाती है.
उच्च राशि में मौजूद ग्रह भी अस्त होने हो जाता है बेकार
उच्च राशि में मौजूद ग्रह भी अस्त होने पर सुपरिणाम नहीं दे पाते हैं. यह मूल त्रिकोण या उच्च राशि में होने पर भी अच्छे परिणाम देने में असमर्थ हो जाते हैं. ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक एक अस्त ग्रह बलहीन और अस्वस्थ राजा के जैसा होता है, इस अवस्था में कोई भी ग्रह बेहतरीन फल नहीं दे पाता है.
उदाहरणस्वरूप , किसी जातक की कुंडली में अगर बृहस्पति सरीखा प्रबल ग्रह ही अस्त हो जाए और सप्तम भाव में स्थित हो तो यह स्त्री सुख के साथ-साथ जातक की विवेकशीलता में भी समस्या उत्पन्न होती है.
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Ast Grah बढ़ाते हैं अशुभ की आशंका
ऐसे ग्रह खराब परिणाम तो देते ही हैं, साथ ही त्रिक भाव में अशुभ परिणामों की आशंका भी बढ़ा देते हैं. अस्त ग्रह के दूषित स्थान, शत्रु राशि या फिर अशुभ ग्रहों के असर में होने पर परिणाम और भी खराब हो जाते हैं. यदि जातक की कुंडली में कोई भी शुभ ग्रह जैसे बृहस्पति, शुक्र, चंद्र, बुध आदि अस्त हों तो और भी भयानक परिणाम हो सकते हैं. अस्त ग्रहों की बिगड़ी हुई स्थिति की वजह से जातक को कई अन्य समस्याएं मसलन बीमारी, गंभीर दुर्घटना अथवा अन्य भीषण दु:ख हो सकते हैं. कई बार एक शुभ ग्रह के अस्त होने पर भी ज़िंदगी में समस्याओंं की बाढ़ आ जाती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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Astro Information : ज़िन्दगी के पस्त होने की वजह कहीं ग्रहों का अस्त होना तो नहीं