डीएनए हिंदी: पश्चिम बंगाल के कोलकाता में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. यहां एक 44 साल के शख्स की ‘मांस खाने वाले बैक्टीरिया’ (Flesh-Eating Bacteria) के इंफ्केशन से मौत हो गई. मृतक की पहचान मृण्मय रॉय के रूप में हुई है. चिकित्सकीय भाषा में इस बैक्टीरिया को नेक्रोटाइजिंग फासिसाइटिस (Necrotizing Fasciitis) कहा जाता है. डॉक्टरों के मुताबिक, यह बैक्टीरिया जख्म के रास्ते मृतक के शरीर में घुसा था, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई.
जानकारी के मुताबिक, मृण्मय रॉय को कुछ दिन पहले ट्रेन से उतरते समय चोट लग गई थी. इस हादसे में एक लोहे की छड़ ने रॉय के निचले कूल्हे को फाड़ दिया था. रॉय इसका इलाज कोलकाता की एक स्थानीय नर्सिंग होम में चल रहा था. उनकी स्थिति जब गंभीर होने लगी तो 23 अक्टूबर को उन्हें आरजीकेएमसीएच ट्रांमा सेंटर में भर्ती कराया गया. ट्रांमा सेंटर के डॉक्टर हिमाशसुं रॉय ने कहा कि मरीज की हालत बहुत गंभीर थी. उसके पूरे शरीर में जहर फैल चुका था. उन्होंने कहा कि हमने तुरंत उसे सर्जरी इंटेंसिव केयर यूनिट (SICU) में भर्ती किया और वेंटिलेटर पर उनका इलाज शुरू कर दिया.
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मरीज के बॉडी में फैल गया था बैक्टीरिया
डॉक्टर हिमाशसुं ने बताया कि मरीज के शरीर में नेक्रोटाइजिंग फासिसाइटिस (यानी मांस खाने वाले बैक्टीरिया) फैल गया था. बैक्टीरिया उसके शरीर के नीचे हिस्से के नाजुक अंगों को खा चुका था. बैक्टीरिया उसकी चमड़ी से होते हुए उसके नाजुक टिशु में प्रवेश कर गया था. हमने मरीज को बड़ी मात्रा में एंटीबायोटिक और अन्य दवाइयां देकर बचाने की कोशिश लेकिन उसकी मौत हो गई.
क्या होता है मांस खाने वाला बैक्टीरिया?
डॉक्टरी भाषा में इस'मांस खाने वाला बैक्टीरिया' को नेक्रोटाइजिंग फासिसाइटिस (Necrotizing Fasciitis) कहते हैं. इसका संक्रमण इंसान के त्वचा और उसके नीचे के भाग में टिशू (Tissue) को टारगेट करते हैं. इसका संक्रमण इतना भयानक है कि अगर समय रहते इसका इलाज नहीं किया गया तो इंसान की मौत हो जाती है. डॉक्टरों के मुताबिक, 'मांस खाने वाला बैक्टीरिया' ब्लड वैसील्स (Blood Vessels) पर हमला करता है. यह Tissue समेत मांसपेशियों तक ब्लड सर्कूलेशन में रुकावट पैदा करता है. इस वजह से इंसान के शरीर में खून सप्लाई में कमी आ जाती है.
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कैसे फैलता है ये वायरस
विशेषज्ञों की मानें तो ये जानलेवा बैक्टीरिया मनुष्य के शरीर में तब प्रवेश करता है जब उसे चोट या दुर्घटनावश जख्म या घाव बने हों. घाव के रास्ते ही यह इंसान के शरीर में प्रवेश करता है. मांस खाने वाला बैक्टीरिया उस स्थान को चुनता है जहां सूजन हो. फिर ब्लड सर्कूलेशन करने वाली कोशिकाओं को संकुचित कर सकता है, जो उतकों को ऑक्सीजन पहुंचाता है. इसका परिणाम घातक होता है. मरीज को ऐसा महसूस होता है जैसे बैक्टीरिया उसके मांस को खा रहा है. इसलिए इसे 'मांस खाने वाला बैक्टीरिया' भी कहा जाता है.
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क्या होता है मांस खाने वाला बैक्टीरिया? जिसकी वजह से 44 साल के शख्स की चली गई जान