डीएनए हिंदी: अंतरिक्ष में होने वाले एस्टेरॉयड मूवमेंट का असर एक बार फिर धरती पर पड़ने जा रहा है. कुछ एस्टेरॉयड पृथ्वी की धुरी के इतने पास से गुजरने वाले हैं, जिन्हें लेकर नासा (NASA) की मुश्किलें बढ़ गई हैं. नासा खगोलीय गतिविधियों पर एक बार फिर बारीक नजर रख रही है. ऑब्जर्वेटरी में अब तक मिले डेटा की स्टडी करने के बाद नासा ने कुछ बड़ी खगोलीय घटनाओं के बारे में वॉर्निंग दी है.
नासा ने खगोलीय घटनाओं पर नजर रखने के लिए प्लेनेटरी डिफेंस इमरजेंसी स्थापित की है. यह सेंटर उल्का पिंडों के मूवमेंट पर नजर रखता है. यहीं से यह जानने की कोशिश की जाती है कि उल्का पिंडों के गिरने पर धरती पर क्या असर होगा. CNEOS की स्टडी में यह बात सामने आई है कि धरती की तरफ एक एस्टेरॉयड तेजी से बढ़ रहा है. नासा कैटालिना स्काई सर्वे और नेवाइस टेलीस्कोप जैसी दूरबीनों की मदद से डेटा का विश्लेषण किया है.
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बेहद तेज रफ्तार से गुजरेगा एस्टेरॉयड
धरती की तरफ तेजी से एस्टेरॉयड 2021 AE बढ़ रहा है. यह पृथ्वी की धुरी से 5,193 किलोमीटर की दूरी से गुजरेगा. इस एस्टेरॉयड की स्पीड करीब इस दौरान करीब 53,830 किलोमीटर प्रति घंटे की होगी. नासा के हेडक्वार्टर वॉशिंगटन में प्लेनेटरी साइंस डिवीजन ने एक प्लेनेटरी डिफेंस कॉर्डिनेशन ऑफिस (PDCO) भी बनाया है. PDCO का काम 2021 AE की हर मूवमेंट की स्टडी है. यह संस्था धरती से 8 मिलियन किलोमीटर दूर के उल्का पिंडो पर भी नजर रखती है.
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NASA ने एस्टेरॉयड से बचने के लिए तैयार किया है प्लान
नासा का DART मिशन भी एस्टेरॉयड के खतरे को रोकने के लिए तैयार किया गया है. नासा इस पर ज्यादा ध्यान दे रहा है. अगर यह मिशन पूरी तरह से सफल हो जाए तो धरती को किसी भी तरह के एस्टेरॉयड के खतरे से बचाया जा सकेगा.
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धरती से टकराने वाला है बड़ा एस्टेरॉयड, टेंशन में है NASA, जानें कहां होगा असर