डीएनए हिंदी: भारत के उत्तरी हिस्सों में मंगलवार-बुधवार की रात भूकंप (Earthquake) के झटके महसूस किए गए. राजधानी दिल्ली के लोगो भी भूकंप के झटके देखकर डर गए. भूकंप का केंद्र (Earthquake Epicenter) नेपाल में था जहां लगभग आधा दर्जन लोगों की मौत भी हो गई है. जमीन के अंदर की इंडियन प्लेन और यूरेशियन प्लेट के टकराव के चलते बीते कुछ सालों में भूकंप की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं. इन प्लेटों के टकराव की वजह से हिमालय क्षेत्र में नए पर्वतों का निर्माण भी हो रहा है. भूकंप की घटनाओं के चलते दुनियाभर के कई देशों में छोटी-बड़ी घटनाएं लगातार हो रही हैं और लोगों की जान गई है.

भूकंप एक ऐसी घटना है जो अचानक होती है और कुछ ही सेकेंड में सबकुछ तबाह हो जाता है. जापान जैसे देश भूकंप से हमेशा प्रभावित रहते हैं. यही वजह है कि वहां पर घरों को इस तरह से बनाया जाता है कि भूकंप से ज्यादा नुकसान न हो और भूकंप के बाद घरों को फिर से आसानी से तैयार किया जा सके. सबसे बड़ी समस्या यह है कि भूकंप का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है. अभी तक कोई ऐसी मशीन भी नहीं बनाई जा सकी है जो अनुमान लगा सके कि भूकंप आने वाला है.

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जानवरों को हो जाता है भूकंप का अनुमान
भूकंप का अनुमान न लगा पाना बड़ी समस्या है. हालांकि, धरती पर पाए जाने वाले कई जानवर भूकंपों का अनुमान लगा लेते हैं. भूकंप आने से पहले धरती पर मौजूद मेढक, कुत्ते, बिल्ली, मछलियां और सांपों को इसका एहसास हो जाता है. कई रिसर्च में सामने आया है कि इन जानवरों को कुछ सेकेंड पहले एहसास होता है इस वजह से उनकी गतिविधियों में अंतर आता है. कहा जाता है कि भूकंप से पहले इन जानवरों को जो एहसास होता है उसी के चलते ये बेचैन हो जाते हैं और कुछ तो अजीब हरकतें भी करने लगते हैं.

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रिसर्च के मुताबिक, कई बार ऐसा देखा गया है कि भूकंप से कुछ देर पहले ही मेंढक तालाब से निकलकर बाहर आ जाते हैं. ऐसे ही कुछ मामले सांपों के भी देखे गए हैं कि जिसमें भूकंप से पहले सांप अपने बिल से बाहर आ गए. मैक्स प्लैंक इंस्टिट्यूट ऑफ एनिमल बिहैवियर ने जानवरों पर भूकंप का असर समझने के लिए बाकायदा रिसर्च की है. इसके लिए, जानवरों के शरीर पर सेंसर लगाए गए और भूकंप से पहले ही उनकी गतिविधि समझी गई. रिसर्च में सामने आया कि भूकंप आने से कुछ घंटे पहले ही कई जानवरों में बेचैनी बढ़ती जा रही है.

जानवरों की गतिविधि में देखा गया बदलाव
कई रिसर्च में ऐसा देखा गया है कि जानवर अपने रहने की जगहों, पक्षी अपने घोसलों और पालतू जानवर अपने बाड़ों से बाहर आ जाते हैं और उनमें एक तरह की बेचैनी देखी जाती है. हालांकि, इस बात पर वैज्ञानिक 100 फीसदी सहमत भी नहीं होते क्योंकि रिसर्च का समय और ऑब्जर्वेशन काफी सीमित रही है. दूसरी तरफ, रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों ने तमाम तरीकों से इस बात को साबित किया है.

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मैक्स प्लैंक इंस्टिट्यूट की रिसर्च के मुताबिक, भूकंप आने से पहले पत्थरों पर दबाव पड़ने से हवा में आयन घुल जाते हैं. जानवरों अपनी त्वचा और रोएं से इन आयनों को समझ लेते हैं. इसके अलावा, भूकंप से पहले क्वार्ट्ज क्रिस्टल से निकलने वाली गैसों को भी कुछ जानवर सूंघने में सक्षम होते हैं और उन्हें अनहोनी का एहसास हो जाता है.

वेटनरी एक्सपर्ट डॉ. रीटा गोयल के मुताबिक जानवरों की हियरिंग यानी सुनने की शक्ति इंसानों के मुकाबले ज्यादा होती है इसलिए वो भूकंप की कंपन को महसूस कर सकते हैं और झटकों से होने वाले कंपन को बेहतर सुन सकते हैं.  इसके अलावा  आमतौर पर जानवर ज़मीन पर होते हैं. उनकी त्वचा सीधे धरती के संपर्क में होती है इसलिए धरती में होने वाले घर्षण को वो जल्दी पकड़ पाते हैं.

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भूकंप आने से पहले ही जानवरों को कैसे हो जाता है एहसास? समझिए इसके पीछे का साइंस
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