डीएनए हिंदी: हम रोजाना Russia-Ukraine युद्ध की भयावह तस्वीरों के गवाह बन रहे हैं. लाखों लोग बेघर हो गए हैं. रिफ्यूजी बनने को मजबूर हैं. दुनिया की अर्थव्यवस्था पर भी इस युद्ध का असर देखने को मिल रहा है. कई जरूरी चीजों के दाम बढ़ रहे हैं. इन सब के बीच कयास लगाए जा रहे हैं कहीं रूस की तरह चीन भी ताइवान पर हमला ना कर दे. जानिए क्या ऐसा हो सकता है, अगर ऐसा हुआ तो इसके क्या परिणाम होंगे.
यूक्रेन की स्थिति से चीन को मिला बढ़ावा?
आज ही खबर आई है कि US House की मौजूदा स्पीकर Nancy Pelosi आने वाले रविवार को ताइवान के दौरे पर होंगी. पद पर रहते हुए यूएस हाउस के किसी स्पीकर का पिछले 25 साल में यह पहला दौरा होगा. जाहिर है इस पर चीन की तीखी प्रतिक्रिया आएगी ही. अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया ने हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने का ऐलान किया था जिस पर तिलमिलाए चीन ने कहा था कि इन देशों को एक और यूक्रेन जैसा संकट पैदा करने से बचना चाहिए.
क्या मतलब है चीन के बयान का?
चीन के इस बयान के बाद कई तरह के मतलब निकाले जा रहे हैं. अटकलें लगाई जा रही हैं कि कहीं चीन ताइवान पर हमला करने का प्लान तो नहीं बना रहा है. इस सवाल के जवाब के लिए डिफेंस एक्सपर्ट Col (Retd.) Danveer Singh बताते हैं कि यूक्रेन की स्थिति को देखते हुए चीन को ताइवान पर हमला करने के लिए बढ़ावा तो मिला है.
उन्होंने बताया कि यूक्रेन पर रूस के हमले को अमेरिका और उसके साथी देश मिलकर भी रोक नहीं पाए. NATO, UN, अमेरिका कोई भी रूस को यूक्रेन पर बमबारी करने से रोकने में सफल नहीं हो पाया. ये सब देखते हुए लगता है कि जरूरत पड़ी तो चीन ताइवान पर हमला करने से नहीं हिचकिचाएगा.
क्या अमेरिका को भी है चीनी हमले का अंदेशा?
चंद दिनों पहले अमेरिका की पैसिफिक फ्लीट के कमांडर एडमिरल Samuel J Pararo के अधिकारी ने बयान दिया था कि चीन यूक्रेन की स्थिति को लेकर सबक ले रहा है. उनके इस बयान से कहीं न कहीं इस तरफ इशारा दे रहा है कि अमेरिका को भी ताइवान पर चीनी हमले का अंदेशा है.
ताइवान पर हुआ हमला तो यूक्रेन से भी बड़ा संकट हो सकता है पैदा
रूस-यूक्रेन और चीन-ताइवान की स्थिति एक जैसी नहीं है. रूस और यूक्रेन की भाषा, संस्कृति सबकुछ अलग है जबकि ताइवान और चीन की भाषा, संस्कृति सबकुछ एक जैसा है. COL (RETD.) Danveer Singh के मुताबिक, यूक्रेन की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि उससे NATO, US पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता है.
वो बताते रहें कि कहने को भले ही ये देश कुछ भी कहते रहें. अगर ताइवान पर चीन हमला करता है तो साउथ कोरिया और जापान के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा. ऐसे में संभावना है कि ये दोनों देश अमेरिका का इंतजार किए बिना ही ताइवान की मदद के लिए अपनी सेना उतार देंगे. इन दोनों ही देशों की सेना दुनिया की ताकतवार सेनाओं में गिनी जाती है. जाहिर है ऐसा होने पर स्थिति यूक्रेन से ज्यादा खतरनाक और गंभीर होगी.
अमेरिका से भरोसा हुआ है कम!
यूक्रेन पर रूसी हमला और अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा, हाल ही में हुई ये दो घटनाएं ऐसी हैं जिनसे अमेरिका से दुनिया का भरोसा कम हुआ है. यूक्रेन पूरी तरह तबाह हो गया लेकिन अमेरिका दुनिया को अनाज देने वाले इस देश की रक्षा करने में विफल रहा.
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की मदद की गुहार लगा रहे हैं लेकिन जिस मदद की उम्मीद वो कर रहे थे. उसका इंतजार खत्म ही नहीं हो रहा है. अफगानिस्तान में भी देखा गया कि किस तरह अमेरिका मूकदर्शक बन अफगानिस्तान को तालिबान की गिरफ्त में जाते देखता रहा. दुनिया के सबसे आधुनिक हथियारों और रक्षा तकनीक से लैस अमेरिकी की सेना मोटरसाइकिल पर सवार AK-47 हाथ में लिए कुर्ता-पजामा पहने तालिबान के लड़ाकों के सामने कुछ नहीं कर पाई.
(पुष्पेंद्र कुमार की रिपोर्ट)
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