डीएनए हिंदीः टाइटेनिक. नाम तो सुना होगा ! एक तरफ इस नाम के साथ इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी जुड़ी है। दूसरी तरफ ये नाम है उस फिल्म का जिसने अवॉर्ड्स के रिकॉर्ड बनाए। फिर टाइटेनिक अपने आप में एक ऐसा शब्द भी बन चुका है, जिसके बारे में जितनी बात की जाए, जितनी ज्यादा जानकारी जुटाई जाए, दिलचस्पी उतनी ही ज्यादा बढ़ती जाती है. ऐसी ही एक दिलचस्प बात है टाइटेनिक का मेन्यू. क्या आपको पता है कि टाइटेनिक के यात्रियों ने शिप के डूबने से पहले क्या खाया था?

14 अप्रैल 1912 की शाम टाइटेनिक के सामने आइसबर्ग आने से पहले, टाइटेनिक के डूबने से पहले, लाइफजैकेट्स और बोट्स के निकलने से पहले टाइटेनिक पर क्या हो रहा था? टाइटेनिक के यात्री डिनर की तैयारी में थे. किसी को क्या पता था कि ये टाइटेनिक का लास्ट मील बन जाएगा. टाइटेनिक के डूबने और इस घटना के विश्व की सबसे त्रासद घटना बनने के बाद इसका लास्ट मेन्यू भी किसी ऐतिहासिक दस्तावेज से कम नहीं है.

ये जानना और भी रोमांच पैदा करता है कि टाइटेनिक की किचन में दुनिया की सबसे बेहतरीन सुविधाएं मौजूद थीं. इसके शानदार कैफे और वैभवशाली डाइनिंग रूप पेरिस और लंदन के शानदार रेस्तरां को भी मात देते थे. जहाज में यात्रा कर रहे लोगों और क्रू सदस्यों के लिए एक दिन में 6000 से ज्यादा प्लेट भोजन तैयार किया जाता था. इसके लिए काफी संख्या में स्टाफ मौजूद था. बताया जाता है कि टाइटेनिक के 2220 यात्रियों के लिए 113 कुक, 15 सुपरवाइजर कुक, 12 पेस्ट्री शेफ, 6 बेकर्स और 5 बुचर्स और 5 सॉस शेफ थे.

भोजन का मेन्यू यात्रियों की श्रेणी के हिसाब से अलग-अलग था. प्रथम श्रेणी के यात्रियों के लिए मेन्यू में 13 तरह के व्यंजन शामिल थे. पहली और दूसरी श्रेणी के यात्रियों के मेन्यू में कई व्यंजन एक जैसे थे. अंतर था, तो वाइन और डाइनिंग रूप के माहौल का. वही तीसरी श्रेणी में यात्रा करने वाले यात्रियों की व्यंजन सूची में शामिल था- वेजीटेबल सूप, रोस्टे़ड पोर्क, प्याज, उबले आलू, बिस्किट. ब्रेड, प्लम पुडिंग और ऑरेंज. कहा जाता है कि टाइटेनिक के किचन स्टाफ ने हर तरह के यात्रियों को ध्यान में रखकर भोजन तैयार करने में काफी मेहनत की थी.

अब सवाल ये है कि जहाज के डूबने वाली रात से पहले यात्रियों ने क्या खाया था. इस सवाल का जवाब मिलता है उस मेन्यू कार्ड से,जो इस दुर्घटना के बाद की हई पड़ताल से मिला था. इस मेन्यू के फर्स्ट कोर्स में शामिल थीं- कटलरी और ऑइस्टर (कस्तूरी मछली)। सेकेंड कोर्स में शामिल था बार्ले (जई) क्रीम सूप. थर्ड कोर्स में सेलमन विद सॉस और खीरे का सलाद. वहीं चौथे और पांचवें कोर्स में यात्रियों को प्रोटीन डिशेस ऑफर की गई थीं. छठे कोर्स में लैंब विद मिंट सॉस औऱ रोस्ट डकलिंग विद एपल सॉस जैसी डिशेस शामिल थीं. इस ऐतिहासिक भोज के साथ पैलेट क्लींजर के तौर पर पंच रोमेनी भी सर्व किया गया. ये वाइन, रम और शैंपेन से तैयार किया गया था. पैलेट क्लींजर उन डिशेस को कहा जाता है, जो स्वाद ग्रंथियों को रिफ्रेश करने के लिए तैयार की जाती हैं.

डेजर्ट में शामिल थी चॉकलेट, वनीला एक्लेयर, जेली फ्रेंच आइस्क्रीम और पुडिंग. इस वैभवशाली डिनर के आखिर में कॉफी और सिगार की भी व्यवस्था थी. आज भी हर साल इस दुर्घटना को याद करते हुए कई रेस्तरां उस आखिरी भोज को तैयार करते हैं.

 

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एक दिन में छह हजार से ज्यादा प्लेट भोजन तैयार किया जाता था टाइटेनिक पर
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