डीएनए हिन्दी : चाहमान वंश ग्यारहवीं सदी के उत्तरार्ध में दिल्ली और आस-पास के इलाक़ों में प्रमुख रूप से शासन में थी. 1177 में ग्यारह बरस के पृथ्वीराज को दिल्ली की सल्तनत मिली, जिसकी सीमाएँ उत्तर में थानेसर से लेकर दक्षिण में मेवाड़ तक विस्तृत थीं. शासन के कुछ ही सालों में पृथ्वीराज ने अपनी अभूतपूर्व सैन्य क्षमता के ज़रिए सत्ता पर अपनी मज़बूत पकड़ बना ली.
युवा शासक पर पहला हमला उसके चचेरे भाई नागर्जुन ने किया था ताकि गद्दी पर हक़ जमा सके. पृथ्वीराज ने बेहद मज़बूती से उस विद्रोह का दमन किया था. शासन हासिल करने के पांच साल के दरमियान पृथ्वीराज ने चंदेल राजाओं के खिलाफ लड़ाई छेड़ी जिस पर हासिल विजय ने उनकी शक्ति को काफ़ी बढ़ा दिया.
मुहम्मद गौरी का आक्रमण और तराई का युद्ध
कई किंवदन्तियाँ कहती हैं कि तात्कालिक ग़ुर और वर्तमान अफ़ग़ानिस्तान के शासक मुहम्मद इब्न साम ने सत्रह बार पृथ्वीराज की राजधानी दिल्ली पर आक्रमण किया पर ऐतिहासिक सूत्रों के मुताबिक मुहम्मद गौरी और पृथ्वीराज के बीच दो ही बार युद्ध हुआ. इसे तराई के युद्ध के नाम से भी जाना जाता है. भटिंडा और आस-पास के राज्यों पर कब्ज़ा करने के बाद मुहम्मद इब्न साम की चाहत उत्तर भारत में सल्तनत जमाने की थी और इसी शृंखला में दिल्ली पर हमला किया गया था. तराई का पहला युद्ध 1191 में लड़ा गया था जिसमें पृथ्वीराज ने जीत हासिल की थी. उसके साल भर बाद ही मुहम्मद इब्न साम ने फिर से पृथ्वीराज के राज्य पर हमला किया जिसमें चौहान राजा की हार हुई और मृत्यु भी.
पृथ्वीराज संयोगिता
कुछ ऐतिहासिक सूत्र संयोगिता के क़िस्से को केवल गल्प मानते हैं वहीं कुछ इसे सच्चाई. संयोगिता राजा जयचंद की बेटी का नाम था. इतिहास के मुताबिक तराई के पहले युद्ध में जयचंद ने पृथ्वीराज का साथ दिया था और संयुक्त रूप से दोनों विजयी हुए थे. चंदबरदाई अपनी कृति पृथ्वीराज रासो में लिखते हैं कि पृथ्वीराज ने संयोगिता की सहमति से उसका अपहरण कर लिया था जिसकी वजह से जयचंद उनके प्रति क्रुद्ध हो गये थे. इस घटना का कालक्रम 1191 से 1192 के बीच कभी माना जाता है.
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