डीएनए हिन्दी : दक्षिण भारत के सबसे सफल राजाओं का नाम लिया जाए तो कृष्णदेव राय का नाम सबसे पहले सामने आएगा. कृष्णदेव राय तुलुवा वंश के शासक थे. बीस सालों तक विजयनगर साम्राज्य पर आधिपत्य करने वाले कृष्णदेव राय उत्तर भारत की सत्ता के पतन के बाद पहले ऐसे राजा थे जिन्होंने पूरे दक्षिण भारत को एक सूत्र में पिरोया था. उन्होंने बीजापुर, रायचूर दोआब और गोलकुंडा के साम्राज्यों को जीत कर अपने राज्य के सीमाओं का विस्तार किया था.

कलिंग के गजपति साम्राज्य पर विजय और जगनमोहिनी से विवाह

कलिंग विजय कृष्णदेव राय के प्रमुख उद्देश्यों में शामिल था. अपने प्रधानमंत्री तिम्मरुसु की सहायता से कृष्णदेव राय ने उड़ीसा के गजपति राजा प्रतापरूद्र को हराया और कटक तक के पूरे प्रदेश पर अधिकार जमा लिया. हालाँकि शुरुआत में प्रतापरूद्र देव ने संघर्ष की कोशिश की थी किन्तु बाद में बेटे के बंदी बना लिए जाने के बाद उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया था. संधि प्रस्ताव ने में उन्होंने अपनी पुत्री जगनमोहिनी का हाथ कृष्णदेव राय के हाथों में देने की पेशकश की. विवाह के बाद कृष्णदेव राय ने गजपति राजाओं को कृष्णा नदी के किनारे तक की उनकी जीती हुई ज़मीन लौटा दी. कृष्णा नदी ने बाद में विजयनगर राज्य और गजपति राज्य के बीच सीमा का काम किया.

भाषाओं का केंद्र बनी विजयनगर राज्य की राजधानी

कृष्णदेव राय कला और संस्कृति के विशेष समर्थक थे.  उनके काल के दौरान संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, तमिल कई भाषाओं के कवियों-लिख्खाड़ों का प्रादुर्भाव हुआ. उनकी तारीफ़ में कई कवियों ने पदों की रचना भी की है. स्वयं कृष्णदेव राय ने भी महिला संत अंदल पर अमुक्तामाल्यादा नामक किताब लिखी.

धर्म और प्रशासन

कृष्णदेव राय को महान शासक प्रजा के बीच उनके लोकप्रिय होने के चलते बताया जाता है. वे हिन्दू धर्म को मानने वाले थे. उन्होंने कई मंदिरों का निर्माण करवाया लेकिन यह माना जाता है कि उनके शासन काल में लगभग सभी मतों के लिए उपयुक्त जगह थी.

 

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Krishnadeo Rai Hero king of South India
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दक्षिण भारत का नायक कृष्णदेव राय
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