डीएनए हिंदी: असल में ये ऐसा सिंड्रोम है जिसमें एक हंसती मुस्कराती लड़की भी अचानक से दुखी, गुस्से में या अनकंट्रोल वे में नजर आने लगती हैं. राजस्थान हाई कोर्ट में एक बार पति-पत्नी का विवाद इस सिंड्रोम के कारण पहुंच गया था. असल में पति ने तलाक की अर्जी कोर्ट में दी थी और इसके पीछे वजह पत्नी के अचानक व्यवहार में आए बदलाव को जिम्मेदार ठहराया था. कोर्ट में जब दलील पेश हुई तो पता चला कि महिला घटना के समय प्री-मेंस्ट्रुअल स्ट्रेस (पीएमएस) से गुज़र रही थीं जिस वजह से उन्हें ध्यान नहीं रहा कि वो क्या क़दम उठाने जा रही हैं. खास बात ये है कि कोर्ट ने महिला की दलील से सहमत होते हुए उन्हें बरी कर दिया था.
इसलिए जरूरी है कि अगर आप शादी करने जा रहे हैं या किसी महिला के साथ संबंध में हैं तो आपको पीएमएस के बारे में जरूर जानना चाहिए. पीएमएस महिला के पीरियड्स शुरू होने से पांच से सात दिन पहले का वो वक्त होता है जिसमें उसके अंदर शारीरिक ही नहीं, मानसिक बदलाव भी होते हैं. कई बार किसी महिला को किसी खास चीज को खाने की इच्छा होती है या फिर उनके व्यवहार में चिड़चिड़ापन नजर आने लगता है. इतना ही नहीं कई मामलों में तो महिलाओं को आत्महत्या करने जैसे विचार भी आने लगते हैं.
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महिलाओं के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव के चलते पीएमएस होता है और इस दौरान उन्हें अपने शरीर , पेट और ब्रेस्ट के पास दर्द या भारीपन महसूस होता है. मूड तेजी से बदलता है. अचानक से वह बेहद गुस्से में आ जाती है और कभी छोटी बात पर ही रोने लग सकती हैं. ये सिंड्रोम हर किसी पर अलग-अलग असर दिखता है.
पब्लिक लाइब्रेरी ऑफ़ साइंस जर्नल PLosONE में पब्लिश पीएमएस पर एक रिपोर्ट के अनुसार 90 प्रतिशत महिलाएं पीएमएस को झेलती हैं. इनमें से 40 प्रतिशत महिलाओं को इस दौरान तनाव महसूस करती हैं और इसमें से दो से पांच प्रतिशत महिलाएं बहुत अधिक तनाव का शिकार हो जाती हैं जिससे उनकी आम ज़िंदगी पर असर पड़ने लगता है.
पीएमएस को लेकर पुरुषों में जानकारी का अभाव कई बार रिश्ते को और खराब कर देता है. क्योंकि वे महिलाओं के अंदर होने वाले इन बदलावों को समझ नहीं पाते. सिंड्रोम के कारण महिलाओं को मानसिक सुकून की जरूरत होती हैं लेकिन उस मुश्किल वक्त में वह घर में बढ़ने वाले तनाव से उनकी समस्या और ही बढ़ जाती है.
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PLosONE की रिपोर्ट के अनुसार हेट्रोसेक्सुअल कपल के मुकाबले लेस्बियन कपल के बीच पीएमएस का दौर काफ़ी आराम से बीतता है. इसके अनुसार लेस्बियन कपल में दोनों पार्टनर लड़कियां होती हैं तो वो एक दूसरे की समस्या को भी काफ़ी अच्छे तरीके से समझ पाती हैं और यही वजह है कि मुश्किल वक्त में अपने साथी को बेहतर तरीके से सपोर्ट कर पाती हैं.
पुरुष पार्टनर भी अगर अपनी महिला साथी को बेहतर तरीके से समझने लगे तो आधी से अधिक समस्या का समाधान निकल सकता है. पीएमएस में मूड स्विंग जैसी चीज़ें को अगर पुरुष समझ ले और महिला का साथ दे तो रिश्ते टूटने से बच सकते हैं. अगर पीएमएस की समस्या ज्यादा होता तो डॉक्टर से मिलें और इसकी थेरेपी लें.
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