सफेद दाग त्वचा से जुड़ी एक बीमारी है. जिसमें आपकी सामान्य त्वचा सफेद होने लगती है. कई लोग इस बीमारी को स्पर्श और संक्रमण से जोड़कर देखते हैं, लेकिन यह सिर्फ एक मिथक है.
विशेषज्ञों के अनुसार, विटिलिगो एक आनुवंशिक ऑटोइम्यून विकार है जो किसी को भी हो सकता है. लेकिन आपको शायद ही ये पता होगा की इस बीमारी का एक बड़ा कारण तनाव भी है. तनाव वैसे तो कई बीमारियों को जन्म देती है लेकिन आटोइम्युन को कमजोर करने में भी ये सबसे बड़ा रोल निभाती है. इसलिए अगर आपको तनाव मे रहने की आदत है तो आपको सफेद दाग होने की संभावना भी ज्यादा होगी.
इस बीमारी में एंटीबॉडीज आपके मेलानोसाइट्स को नष्ट कर देती हैं और सफेद धब्बे पैदा करती हैं. मेलानोसाइट्स आपकी कोशिकाएं हैं जो वर्णक, मेलेनिन बनाती हैं. ये कोशिकाएं हमारे बालों, त्वचा, होठों आदि को रंग देती हैं. यदि मेलानोसाइट्स समाप्त हो जाते हैं, तो क्षेत्र सफेद हो जाता है. इस निशान से किसी भी तरह की परेशानी नहीं होती लेकिन दूसरे लोग इसे बुरा मानते हैं.
इसके शुरुआती लक्षण क्या हैं?
जहां तक विटिलिगो के शुरुआती लक्षणों की बात है तो इसमें छोटे-छोटे सफेद धब्बे दिखाई देते हैं. कुछ लोगों को शुरुआत में खुजली का अनुभव भी हो सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि जहां सफेद दाग होते हैं, वहां बाल भी सफेद हो सकते हैं. यह शरीर के खुले हिस्सों, जननांग क्षेत्र के आसपास पाया जाता है. कभी-कभी सिर की त्वचा भी सफेद होने लगती है और पलकें, भौहें और दाढ़ी का रंग भी सफेद होने लगता है.
विशेषज्ञों का कहना है कि विटिलिगो एक आनुवंशिक समस्या है, इसलिए इसका कोई उचित इलाज नहीं है. समय पर उपचार से त्वचा का रंग बदलने से रोका जा सकता है. ऐसी कुछ क्रीम हैं जिनका उपयोग मलिनकिरण को रोकने के लिए किया जा सकता है. फोटो थेरेपी भी मददगार है.
सफेद दाग क्यों होते हैं?
- कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण रंग उत्पादन करने वाली कोशिकाओं की मृत्यु हो जाती है.
- स्व-प्रतिरक्षित रोग (ऑटो इम्यून डिजीज) जैसे, थायरॉयड रोग या टाइप 1 डायबिटीज के कारण भी त्वचा के रंग में बदलाव देखा जाता है.
- त्वचा का अधिक धूप, तनाव या औद्योगिक केमिकल्स के संपर्क में आना.
- जेनेटिक कारण
- तनाव
विटिलिगो में क्या करें, क्या नहीं
सफेद दाग में परहेज के तौर पर मरीजों को शराब, कॉफी, मांस-मच्छी, अचार, लाल मांस, टमाटर के बने उत्पाद, फलों का रस और सिगरेट से बचने की सलाह दी जाती है.
इसकी जगह फल जैसे सेब, केला, अंजीर, खरबूज, खजूर, मूली, गाजर और हरी पत्ती वाली सब्जियों का सेवन सेहत के लिए अच्छा होता है और बीमारी से बाहर आने में मददगार साबित होता है.
विटिलिगो का इलाज त्वचा के रंग को बहाल करके उसकी स्थिति को बदलने पर आधारित होता है. हालांकि यह आमतौर पर स्थायी नहीं होते और साथ ही इसके प्रसार को पूरी तरह नियंत्रित नहीं कर सकते हैं.
सफेद दाग हो जाए तो किस बात का रखें ध्यान
धूप से बचाव: विटिलिगो की स्थिति में सनबर्न एक गंभीर जोखिम है. ऐसा देखा गया है कि जब आपकी त्वचा यानी स्किन सूर्य की रौशनी के संपर्क में आती है, तो यह पराबैंगनी (यूवी) किरणों से बचाने में मदद करने के लिए मेलेनिन नाम के वर्णक यानी पिगमेंट का उत्पादन करती है. ऐसे में अगर आपको विटिलिगो है, तो इसका मतलब है कि आपकी त्वचा में पर्याप्त मेलेनिन नहीं है. अपनी त्वचा को सनबर्न और लंबे समय के नुकसान से बचाने के लिए आदर्श रूप से 30 या उससे अधिक के सन प्रोटेक्शन फैक्टर (एसपीएफ) वाली सनस्क्रीन लगानी चाहिए.
विटामिन डी: यदि आपकी त्वचा धूप के संपर्क में नहीं आती है, तो ऐसे में विटामिन डी की कमी का खतरा बढ़ जाता है. हड्डियों और दांतों को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन डी बेहद जरूरी है और सूर्य का प्रकाश या रोशनी विटामिन डी का मुख्य स्रोत है. इसका एक रूप कुछ खाद्य पदार्थों में भी पाया जाता है, जैसे दूध. लेकिन सिर्फ भोजन और सूर्य के प्रकाश से शरीर के लिए पर्याप्त विटामिन डी प्राप्त करना मुश्किल है. ऐसे में आपको विटामिन डी के 10 माइक्रोग्राम (एमसीजी) युक्त दैनिक सप्लीमेंट लेने की सलाह दी जाती है.
त्वचा पर टैटू ना बनवाना: यहां आपको एक बात का खास ध्यान देना होगा कि टैटू न बनाना विटिलिगो का कोई इलाज नहीं है, लेकिन टैटू से त्वचा को नुकसान हो सकता है. टैटू बनवाते समय जब त्वचा टूटती है तो 2 हफ्ते के भीतर सफेद धब्बे भी बनने लगते हैं.
(Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.)
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नहीं बदलीं ये आदतें तो सफेद दाग होने की बढ़ जाएगी संभावनाएं, ऐसे होती है इस बीमारी की शुरुआत