स्ट्रोक का नाम सुनकर ही हम डर जाते हैं. ब्रेन या ब्रेन स्ट्रोक अक्सर होता रहता है. लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि रीढ़ की हड्डी या स्पाइन को स्ट्रोक हो सकता है! डॉक्टरों का कहना है कि इन दिनों दुनिया भर में स्पाइनल स्ट्रोक की घटनाएं बढ़ गई हैं.
स्पाइनल स्ट्रोक ब्रेन स्ट्रोक के समान है. जिस तरह मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति कम होने पर ब्रेन स्ट्रोक होता है, उसी तरह रीढ़ में रक्त की आपूर्ति बाधित होने पर स्पाइनल स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. आइए आज जानते हैं कि स्पाइनल स्ट्रोक हमारे लिए कितना खतरनाक हो सकता है.
स्पाइनल स्ट्रोक क्या है?
दरअसल, जब हमारे शरीर में रीढ़ की हड्डी में रक्त का प्रवाह ठीक से नहीं होता है, तो रीढ़ की हड्डी को ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं, जिससे ऊतकों को नुकसान होता है और नुकसान हो सकता है. इसके कारण रीढ़ की हड्डी से गुजरने वाले संदेशों के तंत्रिका आवेग अवरुद्ध हो सकते हैं. इस स्थिति में आपको स्पाइनल स्ट्रोक हो सकता है, जिसे इस्केमिक स्पाइनल स्ट्रोक कहा जाता है. कुछ स्पाइनल स्ट्रोक रक्तस्राव के कारण होते हैं, जिन्हें हेमोरेजिक स्पाइनल स्ट्रोक कहा जाता है.
स्पाइनल स्ट्रोक के लक्षण क्या हैं?
स्पाइनल स्ट्रोक से बचने के लिए लक्षणों को जानना बहुत जरूरी है. स्पाइनल स्ट्रोक के पहले कुछ घंटों में, रोगी को मांसपेशियों में ऐंठन होने लगती है और चलने में कठिनाई होती है. रोगी के हाथ-पैर सुन्न हो जाते हैं. वह पेशाब पर नियंत्रण खो देता है. ऐसे में सांस लेने में दिक्कत होना भी स्पाइनल स्ट्रोक का एक लक्षण है. कई मामलों में रोगी लकवाग्रस्त हो जाता है और कुछ मामलों में रोगी की मृत्यु भी हो सकती है. जब रीढ़ की हड्डी को पर्याप्त रक्त नहीं मिलता है, जब उसे पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिलते हैं, तो यह रीढ़ की हड्डी की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, तब स्ट्रोक जैसी स्थिति उत्पन्न होती है. हालाँकि इस प्रकार के स्ट्रोक दुर्लभ हैं, ये सभी स्ट्रोक का केवल 0.3% से 1% तक ही होते हैं. यदि तुरंत उपचार न किया जाए तो स्पाइनल स्ट्रोक से पक्षाघात और कभी-कभी मृत्यु भी हो सकती है
कौन अधिक पीड़ित हो सकता है या कौन अधिक जोखिम में है?
खून की कमी से आपको स्पाइनल स्ट्रोक हो सकता है. यह अक्सर रीढ़ की हड्डी को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों के सिकुड़ने के कारण होता है. उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, हृदय रोग और मधुमेह के कारण धमनियाँ संकुचित या कमजोर हो जाती हैं. जो लोग धूम्रपान करते हैं, अत्यधिक शराब पीते हैं, नियमित व्यायाम नहीं करते हैं, उन्हें इसका ख़तरा अधिक होता है.
(Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.)
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मस्तिष्क ही नहीं, रीढ़ की हड्डी में भी हो सकता है स्ट्रोक, स्पाइनल कॉर्ड स्ट्रोक के लक्षण जान लें?