डीएनए हिंदी: Make Your Mind Beautiful BK Shivani- अहंकार स्वयं की गलत छवि से मोह है. जब हम शरीर को, हामरे रोल्स, पोजीशन, रिश्तों को मैं समझते हैं, तब हम उनसे जुड़ने लगते हैं, यह ईगो कांशसनेस है. मैं आत्मा हूँ, यह याद रखा तो यह सोल कांशसनेस यानी शरीर नहीं आत्मा की स्थिति आ जाती है.  सारे दिन में चलते-फिरते, व्यवहार करते, अगर हम ईगो कांशसनेस से काम और बात करते हैं, तो हमारी भावनाएं ईगो वाली होंगी और सभी के साथ हम अहंकार से व्यवहार करेंगे लेकिन अगर खुद को शरीर का पुतला नहीं समझा और आत्मा समझकर सारे काम किए,लोगों से मिले तो हमारी भावनाएं भी बदल जाएंगी. 

ईगो कांशसनेस की लिस्ट में गुस्सा, अभिमान, निराशा, ईर्ष्या, हीनता, श्रेष्ठता, बदले की भावना, आलोचना, तुलना वाली, शिकायत करना, चिंता वाली भावनाएं होंगी. ईगो में, मैं अपने आपको शरीर समझती हूं, इसलिए मुझे चिंता होती है कि मेरे शरीर को क्या हो रहा है? मैं अगर अपने आपको शरीर समझती हूं तो मुझे सुन्दर और उत्तम शरीर चाहिए. सम्पूर्णता और सुंदरता मेरे संस्कार हैं, लेकिन मैं उन्हें शरीर में ढूंढने लग जाती हूं. फिर मैं औरों को देखती हूं और उनकी तरह अपने शरीर को बनाने की कोशिश करती हूँ. उससे ईर्ष्या भी आने लगती है. आज शारीरिक सुंदरता के लिए लोग क्या क्या करते हैं, जिसके पीछे भाव सुंदरता और सम्पूर्ण बनने के हैं, जो कि बहुत अच्छा है. परन्तु सुन्दर और सम्पूर्ण कौन बनना चाहता है? मैं सुन्दर और सम्पूर्ण बनना चाहता हूं. क्योंकि सुंदरता और सम्पूर्णता मेरे संस्कार हैं. मुझे सम्पूर्णता पसंद है. मुझे गलत होना पसंद नहीं है. परन्तु किसे सम्पूर्ण होना चाहिए? मुझे सम्पूर्ण होना चाहिए

शरीर को सम्पूर्ण बनाने की प्रक्रिया में हम मन में कितने सारी गलत भावनाएं जोड़ देते हैं. जितनी बार मैं इन नकारात्मक भावनाओं से प्रभावित होती हूं, मेरी बैटरी लो हो जायेगी है, जिससे निर्णय लेना मुश्किल हो जायेगा. अगर मुझे अपनी निर्णय शक्ति को मज़बूत करना है तो मुझे अपनी आत्मा की बैटरी को चार्ज करना होगा क्योंकि यह आत्मा ही है जो निर्णय लेती है. अगर यह शक्ति ही दुरुस्त नहीं है तो यह सही निर्णय नहीं ले पाएगी, तो इस बैटरी को चार्ज करने के लिए प्रेम, करुणा, शांति, सन्तुष्टता, क्षमाशीलता, कृतज्ञता (ग्रेटिटयूड), आनंद, नम्रता, पवित्रता की भावनाएं होनी चाहिए

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आत्मा को देख नहीं सकते हैं, क्योंकि वो भौतिक वस्तु नहीं है.  हमने मन को भी नहीं देखा है लेकिन हम दिनभर के अनुभवों द्वारा इसे जानते हैं, बाकी सब पदार्थ हैं. यह शक्ति सारा दिन तीन काम करती है - जब यह आत्मा विचार और भावनाओं का निर्माण करती है, तब हम इसे मन कहते हैं. मस्तिष्क भौतिक है और देह का हिस्सा है, जबकि मन दिखाई नहीं देता है. एक जब मैं आत्मा विचारों का निर्माण करती हूं, तो मैं परखती हूं कि क्या सही है, क्या गलत है और फिर मैं उस पर निर्णय लेती हूं,  उस लिए हुए निर्णय को बुद्धि कहते हैं. जब आत्मा ने यह निर्णय ले लिया कि उसे कर दो, तब मैं आत्मा उसे कर्म में ले आती हूं.

इसी प्रकार जब मैं आत्मा दिन में मन और बुद्धि द्वारा 10 से 15 बार निर्णय लेकर कर्म में ले आती हूँ, तो वो हमारा संस्कार बन जाता है. जो अच्छा व बुरा हो सकता है. जब मैं आत्मा मालिक बनकर इन तीन सूक्ष्म शक्तियों द्वारा कर्म करती हूँ तो हमारा कर्म श्रेष्ठ ही होता है, जैसे सबसे मीठा बोलना, सबको सुख देना आदि आदि. इन्हीं श्रेष्ठ कर्मों करने से मैं आत्मा स्वयं को सम्पूर्ण और सुन्दर बना सकती हूँ.

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How to make your mind Beautiful: अपने मन को बनाएं सुंदर, अहंकार भाव को करें दूर
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