दिल्ली में लाल किला, इंडिया गेट, कुतुब मीनार जैसे कई प्रसिद्ध पर्यटन स्थल आपने जरूर देखें होंगे लेकिन क्या आपने चाणक्यपुरी में स्थित 'मालचा महल' देखा है, ये भूतिया महल कहा जाता है जहां रोज रात अजीबोगरीब आवाजें आती हैं और कहा तो ये भी जाता है कि इस महल में एक रानी की आत्मा भटकती है. यह दिल्ली में एक प्रसिद्ध प्रेतवाधित महल (Haunted Castle) के रूप में जाना जाता है. चलिए इस महल की कहानी क्या है जानते हैं.
अवध की रानी विलायत महल अपने बेटे प्रिंस अली रजा उर्फ साइरस और राजकुमारी सकीना के साथ 40 साल तक इसी महल में रहीं थीं. सरदार पटेल मार्ग के पास सेंट्रल रिज पर स्थित यह महल लगभग 700 साल पुराना बताया जाता है. इस घर में ना बिजली थी, ना पानी की सप्लाई. इस महल में केवल उस वक्त तीन लोग रहते थे, बेगम, बेटी सकीना और राजकुमार अली रजा और कम से कम 28 कुत्ते. जबकि महल में पूरी तरह से खंडहर उसी वक्त होने लगा था. सांप, छिपकली, चमगादड़ों के बीच ये परिवार रह रहा था, वह भी बाहरी दुनिया से कट कर. धीरे-धीरे कुत्ते मरते गए और वो महल में विरानी बढ़ती गई. रानी विलायत महल के दोनों बच्चे काफी पढ़े-लिखे थे लेकिन फिर भी वे महल के अंदर ही रहते थे बचे सोने-चांदी की अशरफियों और जेवरातों से काम चलाते थे. प्रिंस के पास एक साइकिल थी जिससे वह कभी कभार बाहर केवल सामान लेने निकलते थे.
मालचा महल कहां है?
'मालचा महल' दिल्ली के रायसीना हिल्स के पास चाणक्यपुरी में स्थित है. जिसका निर्माण 14वीं शताब्दी में हुआ था. जहां स्थानीय निवासियों का मानना है कि खुद को अवध के शाही परिवार की वंशज कहने वाली बेगम विलायत की आत्मा अभी भी महल में निवास करती है. ऐसा कहा जाता है कि 10 सितंबर 1993 में बेगम ने 62 वर्ष की आयु में आत्महत्या करने के लिए कुचले हुए हीरे निगल लिये थे. उनका शव दस दिन तक वहीं पड़ा रहा था.
सरकार ने इस भूतहा रास्ते को बंद कर दिया.
सरकार ने कुछ समय पहले दिल्ली के मालचा महल में भूतहा सैर शुरू की थी जिसे अब बंद कर दिया गया है. दिल्ली पर्यटन के अनुसार, 2023 में इस महल को देखने का समय शाम 5:30 बजे से 7 बजे तक निर्धारित किया गया है. यहां प्रवेश शुल्क 100 रुपये निर्धारित किया गया था. जिन लोगों ने इस यात्रा का अनुभव किया, उन्होंने सीढ़ियों पर अंधेरे और महल के अंदर से आती डरावनी आवाजों का अनुभव किया. इतना ही नहीं, चारों तरफ से घने पेड़ों से घिरे इस क्षेत्र में बंदर और लोमड़ी समेत कई जानवर देखे जाते हैं.
महल के अंदर से डरावनी आवाजें सुनाई देती हैं.
स्थानीय लोगों के मुताबिक, बेगम विलायत महल ने आत्महत्या कर ली थी. इसके बाद, उनके बच्चों ने शव को दफनाने के बजाय उसे संरक्षित करने का प्रयास किया. यद्यपि उनका अंतिम संस्कार ठीक से नहीं किया गया, लेकिन लोगों का मानना है कि उनकी आत्मा आज भी यहां भटकती है. महल तक पहुंचने का रास्ता बहुत सुनसान और डरावना है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां से अभी भी डरावनी आवाजें सुनी जा सकती हैं.
महल में रहने वाला अंतिम राजकुमार कौन था?
महल तक पहुंचने के लिए आपको लगभग एक किलोमीटर पैदल चलना होता है और फिर सीढ़ियां चढ़नी होती हैं. दिलचस्प बात यह है कि इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि अगर आप थोड़ा आगे चलें तो पीछे की सड़क दिखाई नहीं देती.
महल के चारों ओर की डरावनी आवाजें सुनकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाते थे. मालचा महल में रहने वाले अंतिम व्यक्ति राजकुमार अली रजा थे, जो अवध के शासक होने का दावा करते थे और बेगम विलायत महल के पुत्र थे. आपको बता दें कि 2 सितंबर 2017 को वह महल में मृत पाए गए थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अज्ञात बीमारी से जूझते हुए उनकी मौत हो गई थी. अब यह महल वीरान पड़ा है, कोई भी यहां जाने की हिम्मत नहीं करता.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी लोक मान्यताओं और कथन के अनुसार दी गई है.डीएनए हिंदी इसकी पुष्टी नहीं करता है.)
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दिल्ली का मालचा महल क्यों कहा जाता है भुतहा
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