डीएनए हिंदीः देश के राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी (Mohandas Karamchand Gandhi) यानी महात्मा गांधी के बारे में सभी लोग जानते हैं. हालांकि महात्मा गांधी के जीवन से जुड़ी कई ऐसी रोचक बातें हैं जिनके बारे में लोग कम ही जानते हैं. अब 2 अक्टूबर 2023 को महात्मा गांधी (Gandhi Jayanti 2023) की 154वीं जयंती मनाई जाएगी. तो चलिए इस अवसर पर आपको बापू के जीवन से जुड़ी एक ऐसी बात के बारे में बताते हैं जिसे आप शायद ही जानते हों. दरअसल, महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) आयुर्वेद चिकित्सा के बहुत ही करीब थे. वह इससे ही इलाज करते थे और दूसरों को भी सलाह देते थे. आइये जानते हैं कि वह किस तरह आयुर्वेद चिकित्सा के पक्ष में थे.
ऐसे हुआ आयुर्वेद चिकित्सा पर विश्वास
महात्मा गांधी जब अफ्रीका से आए थे तो उन्हें कब्ज की बहुत ही समस्या रहती थी उन्होंने कई दवाई ली लेकिन वह सही नहीं हुए. जिसके बाद उन्होंने अपने एक विदेशी दोस्त की सलाह पर लुई कूने की किताब 'द न्यू साइंस ऑफ हीलिंग' और जुस्ट की किताब 'रिटर्न टू नेचर' पढ़ी. वह इससे इतने प्रभावित हुए कि आयुर्वेद चिकित्सा को ही अपनाया और दूसरों को भी सलाह देने लगे. वह बीमारियों का इलाज प्राकृतिक रूप से करते थे.
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गांधी जी को मानते थे प्राकृतिक चिकित्सक
उस समय के बहुत ही बड़े और प्रख्यात उद्योगपति घनश्याम दास बिड़ला गांधी जी को प्राकृतिक चिकित्सक मानते थे. उन्होंने बताया था कि उन्हें बहुत ही जल्दी-जल्गी जुकाम हो जाया करता था और हाजमा भी खराब रहता था. तब उन्हें गांधी जी ने ही खान-पान संबंधी निर्देश देकर स्वस्थ्य किया था. गांधी जी हर किसी को अच्छे स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद चिकित्सक परामर्श देते थे.
पीते थे बकरी का दूध
महात्मा गांधी शाकाहारी परिवार से थे उन्होंने कभी भी मांस का सेवन नहीं किया था. वह दूध को भी मांसाहार मानते थे. हालांकि बाद में डॉक्टर की सलाह पर उन्होंने दूध पीना शुरू किया था. लेकिन वह सिर्फ बकरी का दूध पीते थे. बकरी के दूध में प्रोटीन, विटामिन, फैट और कैलोरी समेत कई गुण होते है जो बीमारियों को शरीर से दूर रखते हैं.
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आयुर्वेद के बहुत करीब थे महात्मा गांधी, प्राकृतिक नुस्खों से करते थे इलाज