आचार्य चाणक्‍य भारत के महान विद्वानों में से एक थे. उनके द्वारा बताए गए सिद्धांत आज भी हम पर लागू होते हैं. यदि उनके द्वारा बताए गए सिद्धांतों का सही ढंग से पालन किया जाए तो कई प्रकार की समस्याओं से बचा जा सकता है. चाणक्य ने अपने एक सिद्धांत में 3 सुखों का जिक्र किया है, धरती पर स्वर्ग की अनुभूति. जानिए कौन सी हैं वो 3 खुशियां...

अर्थ - जिसका पुत्र उसके अधीन हो यानी उसकी बात माने, जिसकी पत्नी सुंदर और रूपवती हो, साथ ही जो अपने धन से संतुष्ट हो. ऐसे व्यक्ति के लिए पृथ्वी स्वर्ग के समान है.

आज्ञाकारी संतान
आचार्य चाणक्य के अनुसार आज अगर कोई चीज सबसे ज्यादा परेशानी का कारण बनती है तो वह हैं बच्चे. अगर किसी व्यक्ति की संतान आज्ञाकारी है और कोई गलत काम नहीं करती है तो ऐसे व्यक्ति के लिए यही सबसे बड़ी खुशी होती है. यह ख़ुशी दुनिया की सभी खुशियों से बड़ी है.

सुन्दर के साथ सुशील और समझदार पत्नी का होना
शादीशुदा जिंदगी में अक्सर झगड़े होते रहते हैं, जिसका कारण अक्सर पत्नी का झगड़ालू स्वभाव होता है. अगर किसी की पत्नी खूबसूरत होने के साथ-साथ अच्छे गुणों वाली भी हो यानी घर का ख्याल रखने वाली और मीठा बोलने वाली हो तो उसके लिए दुनिया ही स्वर्ग है.

अपने धन से संतुष्ट रहने वाले
चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति अपने धन से संतुष्ट है यानी उसके पास जो भी धन है उससे वह खुश है तो इससे बड़ी कोई बात नहीं हो सकती. आज्ञाकारी संतान, खूबसूरत पत्नी के अलावा यह तीसरी खुशी है जो धरती पर स्वर्ग का एहसास दिलाती है.

 (Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)  

 ख़बरों जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगलफेसबुकxइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.

Url Title
Chanakya Niti says These are 3 joys which make man experience heaven in this world of wealth
Short Title
अगर आपके पास हैं ये 3 चीजें तो समझ लें धरती पर ही आपके लिए स्वर्ग है
Article Type
Language
Hindi
Tags Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
चाणक्य के किसे बताया है सबसे सुखी इंसान
Caption

चाणक्य के किसे बताया है सबसे सुखी इंसान 

Date updated
Date published
Home Title

अगर आपके पास हैं ये 3 चीजें तो समझ लें धरती पर ही आपके लिए स्वर्ग है

Word Count
318
Author Type
Author