राजस्थान के दिलकुश ओझा ने सालासर बालाजी में कुछ ऐसा किया, जो चर्चा का विषय बन गया. मंदिर के पुजारी नितिन पुजारी की उपस्थिति में दिलकुश ओझा खुद ही एक एग्रीमेंट लेकर पहुंचे और अपनी आय का 5% हिस्सा दान करने का शपथ पत्र सौंपा. अपने गहरे धार्मिक विश्वास और समर्पण के साथ उन्होनें  ₹50 के गैर-न्यायिक स्टाम्प पेपर पर एक शपथ पत्र तैयार करवाया, जिसमें उन्होंने ये प्रतिज्ञा की है कि जो भी आर्थिक लाभ उन्हें किसी भी माध्यम से चाहे वह जिला परिवहन कार्यालय हो, कोर्ट हो या कोई और स्रोत मिलेगा, उसका 5% हिस्सा वो सालासर बालाजी को समर्पित करेंगे. 

इतना ही नहीं, वो हर महीने अपनी आय का 2% हिस्सा भी बालाजी मंदिर या फिर सरकारी सेवाओं को दान करेंगे. इसके अलावा, किसी भी प्रकार के आर्थिक लाभ का 5% हिस्सा वो खुद सालासर बालाजी को दान करने का संकल्प लेकर आए थे.

सालासर बालाजी कौन से जिले में है?
राजस्थान के चुरू जिले के सालासर कस्बे में स्थित सालासर बालाजी मंदिर, हनुमान भक्तों के लिए विशेष पूजा स्थल है.

सालासर बालाजी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?

सालासर बालाजी मंदिर के बारे में ऐसा बताया जाता है कि यहां हनुमान जी ने पहली बार महात्मा मोहनदास महाराज के नाम के व्यक्ति को दाढ़ी मूंछों वाले रूप में दर्शन दिए थे. तब मोहनदास ने बालाजी को इसी रूप में प्रकट होने की बात कही थी. इसलिए इस मंदिर में हनुमान जी की दाढ़ी और मूछों में मूर्ति स्थापित है.

सालासर बालाजी इतना प्रसिद्ध क्यों है?

सालासर बालाजी (हनुमान जी) मंदिर के लिए बहुत प्रसिद्ध है. यहाँ हनुमानजी की मूंछें और दाढ़ी है जो इसे हनुमानजी की अन्य मूर्तियों से बहुत अलग बनाती है. यह अपनी दिव्य शक्ति के लिए प्रसिद्ध है और ऐसा कहा जाता है कि अगर सच्चे मन से श्रद्धा से पूजा की जाए तो बालाजी भक्तों की इच्छा पूरी करते हैं.

सालासर बालाजी मंदिर में अर्ज़ी कैसे लगाते हैं

सालासर बालाजी मंदिर में अर्ज़ी लगाने कुछ और बातें बताई गई हैं जिनसे आप अर्ज़ी लगाने के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं:

सालासर बालाजी मंदिर में भक्तों के लिए सुबह 4 बजे दर्शन शुरू हो जाते हैं. यहां मंगल आरती सुबह 5 बजे होती है.
राजभोग आरती सुबह 10:3 बजे होती है, लेकिन यह केवल मंगलवार को ही होती है. शाम को 6 बजे धूप और मेहानदास जी की आरती होती है. इसके बाद 7:30 बजे बालाजी की आरती और 8:15 बजे बाल भोग आरती होती है.
यहां रात 10 बजे तक दर्शन किए जा सकते हैं. मंदिर के पट रात 10 बजे शयन आरती के बाद बंद हो जाते हैं और अगले दिन सुबह 4 बजे फिर खुल जाते हैं. सालासर बालाजी मंदिर में बालाजी की मूर्ति को बाजरे के चूरमे का भोग लगाया जाता है. 

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Big contribution of devotee for Salasar Balaji, Dilkush Ojha announced donation of 5 percent of the earning.
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सालासार बालाजी के लिए भक्त का बड़ा योगदान
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सालासार बालाजी के लिए भक्त का बड़ा योगदान, जानिए स्टांप पेपर पर क्या लिखकर दे दिया 

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