फिल्म निर्माता और लेखिका ताहिरा कश्यप ने हाल ही में खुलासा किया कि उनका स्तन कैंसर सात साल के बाद फिर से वापस आ गया है और इसके लिए उन्हें दोबारा सर्जरी करनी पड़ी. सर्जरी के बाद अस्पताल के गलियारे में टहलते हुए, ताहिरा कश्यप ने मरीजों के बीच एक दिल को छू लेने वाली बातचीत कही थी. ताहिरा कश्यप ने बताया कि कैसे संगीत अनजाने में तनावपूर्ण क्षणों में उनका साथी बन गया था.
अपने चल रहे उपचार के बारे में बताते हुए, उन्होंने अपनी हाल की अस्पताल में बिताए दिनों की एक गहरी व्यक्तिगत झलक इंस्टाग्राम पर साझा की है. अस्पताल में बीताए उनके प्रत्येक क्षण या उनके दिमाग में बजने वाले एक संगीत का भी जिक्र है जो सर्जरी के दौरान वह सुन रही थीं. उन्होंने हैशटैग #HospitalChronicles के साथ एक Instagram पोस्ट में लिखा.
ताहिरा ने बताया है कि कैसे संगीत अनजाने में तनावपूर्ण क्षणों में एक साथी बन गया. "जब वह स्कैनिंग और इमेजिंग एरिया में पहुंची तो वहां मौजूद डॉक्टर ने, शायद मूड को हल्का करने के लिए अपनी प्लेलिस्ट चालू कर दी थी. यह वह गाना था जो तब बज रहा था जब वह अंदर लेटी थीं, अंदर ले जाने के लिए तैयार थीं. वह कुछ घुटन महसूस कीं और कहा, 'सर वह आपके हाव-भाव की सराहना करती हैं , लेकिन कृपया इसे बंद ही कर दें. उन्होंने बताया कि बैकग्राउंड में कल हो ना हो बज रहा था.
बाद में, जब मैं ओटी (ऑपरेशन थियेटर) में दाखिल हुई और सर्जिकल उपकरणों को तैयार होते देखा तो ओटी में प्यारे एनेस्थेसियोलॉजिस्ट ने मुझसे पूछा कि बेहोश होने से पहले वह कौन सा गाना सुनना पसंद करेंगी. मैंने देखा कि सभी उपकरण आ रहे थे और ट्रे में तैयार हो रहे थे. मेरे दिमाग में जो गाना बज रहा था वह था आशा भोसले का गाना 'चक्कू छुरियाँ तेज़ कर लो'.
सर्जरी के बाद अस्पताल के गलियारे में टहलते हुए, उन्होंने मरीजों के बीच एक दिल को छू लेने वाली बातचीत सुनी, जिसमें बैकग्राउंड में पहला नशा चल रहा था. उन्होनें काह कि वह कसम खा सकती हैं कि उन्होंने ये लोगों को कहते सुना था अगर यह इतना दंगल मचा सकते हैं तो हम क्यों नहीं. वह कहती हैं कि उन्हें हमेशा से सिनेमा की ताकत का एहसास था, चाहे वह स्क्रीन पर हो या स्क्रीन के बाहर.
चलिए आप एक्सपर्ट की नजर से जानते हैं कि अस्पताल में संगीत मरीज और डॉक्टर की मानसिक स्थिति को किस प्रकार प्रभावित करता है?
आधुनिक अस्पतालों ने यह पहचान लिया है कि शारीरिक उपचार से परे मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य भी रिकवरी के महत्वपूर्ण पहलू हैं. सर्जरी, कीमोथेरेपी , रक्त आधान या दुर्घटनाओं जैसी चिकित्सा प्रक्रियाओं का जीवन बदलने वाला प्रभाव हो सकता है जो सीधे व्यक्ति की आत्म-छवि को प्रभावित करता है, जिससे संभावित रूप से आत्म-घृणा, आक्रोश, अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य विकार हो सकते हैं.
संगीत चिकित्सा न केवल सर्जरी के बाद रोगियों को स्वस्थ होने में सहायता करती है, बल्कि सर्जरी करने वाले चिकित्सकों सहित चिकित्सा पेशेवरों को भी चिंता का प्रबंधन करने और ध्यान केंद्रित करने में सहायता करती है.
तो क्या संगीत कैंसर जैसी बार-बार होने वाली बीमारियों से जूझ रहे रोगियों में भावनात्मक या शारीरिक प्रतिक्रियाएं उत्पन्न कर सकता है?
चिकित्सक गहरी चिंतनशील भावनाओं का उपयोग करता है. संवेदनशील सुनने में शारीरिक अनुभव या शरीर में संवेदनाएं शामिल हो सकती हैं. विशेषज्ञ कहते हैं कि "जैसा कि ब्रुसिया (1998) ने संगीत चिकित्सा को चार श्रेणियों में विभाजित किया है - सुधार, पुनः निर्माण, रचना, और ग्रहणशील - प्रत्येक मॉडल व्यक्ति को सामाजिक रूप से एकीकृत अनुभव प्रदान कर सकता है, चाहे वह व्यक्तिगत रूप से भाग ले या समूहों में. समूह संगीत चिकित्सा एक गतिशील, उत्पादक अनुभव और अपनेपन की भावना प्रदान कर सकती है.
उपचार के दौरान संगीतमय माहौल बनाना कितना महत्वपूर्ण है?
चिकित्सा अनुसंधान में संगीत चिकित्सा के सकारात्मक प्रभाव दर्ज किए गए हैं , शिशुओं से लेकर जीवन-धमकाने वाली सर्जरी और ऑपरेशन के बाद के स्वास्थ्य लाभ तक, जहां रोगियों ने हृदय गति, ऑक्सीजन संतृप्ति, व्यवहारिक स्थिति प्रतिक्रियाओं, शांत नींद की स्थिति, तेजी से ठीक होने का समय और जल्दी छुट्टी के लिए सकारात्मक आत्म-नियमन परिणाम दिखाए हैं.
जैविक रूप से, संगीत चिकित्सा ध्वनि प्रसंस्करण के लिए टेम्पोरल लोब, भावनात्मक प्रतिक्रियाओं के लिए एमिग्डाला और यादों के लिए हिप्पोकैम्पस को सीधे प्रभावित करती है. शोध ने साबित कर दिया है कि संगीत चिकित्सा से संरचनात्मक और कार्यात्मक परिवर्तन होते हैं.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें.)
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