डीएनए हिंदी: औरंगजेब (Aurangzeb) कट्टर मुगल शासकों में से एक था. वह अपने शासनकाल के दौरान कई कामों के लिए जाना जाता है. उसने अपनी बेटी के लिए एक शब्दकोश भी बनवाया था. इतिहास की कई ऐसी कहानियां है जो गुमनाम है और इनके बारे में कोई नहीं जानता है. आज हम आपको औरंगजेब (Aurangzeb) की बेटी जेबुन्निसा (Zeb-un-Nissa) से जुड़ी एक कहानी बताने वाले हैं. वह एक बेहतरीन शायरा थी. हालांकि औरंगजेब (Aurangzeb) को अपनी बेटी जेबुन्निसा (Zeb-un-Nissa) का शायरी करना पसंद नहीं था इसलिए वह अपने पिता से छुपकर महफिलों और मुशायरों में जाती थी.
जेबुन्निसा (Zeb-un-Nissa)
जेबुन्निसा का जन्म 15 फरवरी 1638 को हुआ था. वह औरंगजेब और उनकी बेगम दिलरस बानो की सबसे बड़ी संतान थी. जेबुन्निसा (Zebunissa) बचपन से ही पढ़ने में बहुत रूची रखती थी. उन्हें इतिहास, भूगोल आदि विषयों के बारे में अच्छी खासी जानकारी थी. इन विषयों के साथ-साथ उनका मन साहित्य और शेरों-शायरी में भी लगता था. जेबुन्निसा (Zebunissa) के कवि गुरू हम्मद सईद अशरफ मजंधारानी थे. जेबुन्निसा (Zebunissa) की मंगनी उनके चचेरे भाई सुलेमान शिकोह से हुई थी. हालांकि सुलेमान की मृत्यु के बाद उनकी शादी नहीं हो पाई थी.
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जेबुन्निसा की बुद्धि और सादगी से प्रसन्न थे औरंगजेब
औरंगजेब अपनी बेटी की बुद्धि और सादगी के कारण उनसे बहुत प्रसन्न थे और इसी वजह से जेबुन्निसा (Zebunissa) औरंगजेब की खास बेटी थी. वह जेबुन्निसा (Zebunissa) को 4 लाख सोने की अशर्फियां खर्च के लिए देते थे इन पैसों से जेबुन्निसा ग्रथों को आम भाषा में अनुवाद करवाने के बाद पढ़ती थी.
जेबुन्निसा की प्रेम कहानी (Zebunissa Love Story)
जेबुन्निसा की साहित्य की कहानियों के साथ ही उनकी प्रेम कहानी भी बहुत ही प्रचलित रही है. उन्हें इसी वजह से औरंगजेब ने सजा दी थी. दरअसल, जुबेन्निसा पिता से छुपकर महफिलों और मुशायरों में जाती थी. वह एक बार महफिल में हिंदू बुंदेला महाराज छत्रसाल से मिली थी उन्हें महाराज छत्रसाल से प्रेम हो गया था. हालांकि औरंगजेब को यह बिल्कुल भी पसंद नहीं था कि उनके परिवार का कोई भी सदस्य हिंदू राजा से जुड़े और संबंध रखें. इसी बात से नाराज होकर औरंगजेब ने अपनी बेटी को सजा दी थी.
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जेबुन्निसा को किया था नजरबंद
औरंगजेब ने अपनी बेटी बहुत समझाया था लेकिन जब वह नहीं मानी तो औरंगजेब ने अपनी बेटी को नजरबंद कर दिया था. जेबुन्निसा को सलीमगढ़ के किले में नजरबंद करवाया गया था. अपनी उम्रकैद के दौरान ही वह श्रीकृष्ण की भक्त बन गई थी. उन्होंने इस दौरान करीब 20 साल में 5000 रचनाएं लिख दी थी. जेबुन्निसा की यह रचनाएं उनकी मृत्यु के बाद दीवान ए मख्फी के नाम से छपी थी. वह अपनी कविताएं और शायरी असली नाम की वजाय मख्फी नाम से ही लिखती थी. उनकी ये रचनाएं आज भी ब्रिटिश लाइब्रेरी और नेशनल लाइब्रेरी ऑफ पेरिस में रखी हुई हैं. जेबुन्निसा की मृत्यु साल 1702 में हुई थी.
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Aurangzeb ने अपनी बेटी Zebunissa को किया था नजरबंद, कैद में रह कर बन गई थी कृष्ण भक्त