डीएनए हिंदी: Anger Management BK Shivani- क्या गुस्से के बिना काम हो सकता है? क्या इससे जीवन बेहतर होगा? एक बार गुस्सा करते ही हमारी शक्ति कम होने लगती है और अगर दिन में कई बार गुस्सा कर दिया तो फिर क्या होगा? तार्किक रूप से हमें पता है कि यह हो सकता है लेकिन जब बात आती है तो हम कभी-कभी कंट्रोल क्यों नहीं कर पाते हैं? क्योंकि आतंरिक शक्ति की कमी है. इसलिए हमें गुस्से पर काबू पाने के लिए आंतरिक शक्ति को बढ़ावा देने की जरूरत है. ब्रह्माकुमारीज की मोटिवेशनल स्पीकर सिस्टर शिवानी हमें कुछ टिप्स बता रही हैं जिससे हमारे अंदर की शक्ति खत्म ना हो और गुस्से की बात पर भी हमें आसानी से गुस्सा ना आए
गुस्से पर कैसे करें कंट्रोल, टिप्स (How To Control Anger, Tips in Hindi)
सुबह कार्य पर निकले, पहला सीन आया, हमने गुस्सा नहीं किया, स्थिरता (स्टेबिलिटी) के साथ जवाब दिया, फ्रीक्वेंसी को बढ़ाया. अगला सीन आया, स्टेबिलिटी के साथ रहने की संभावना बढ़ जायेगी क्योंकि हम पिछली सीन से अपनी ऊर्जा को बचाकर आये हैं. इसी प्रकार, हम एक के बाद एक, अपनी ऊर्जा बचाते रहेंगे फिर शाम तक हमारी स्थिति शक्तिशाली ही रहेगी लेकिन अगर हम अपनी एनर्जी को गुस्से गंवाते रहे तो शाम को जब हम घर पहुंचें तो खाली फ्रीक्वेंसी की स्थिति पर परिवार से मिलेंगे
क्या हम अपने आप से और अपने प्रोफेशन के प्रति गलत हैं? इन सब परिस्थितियों में हम कह रहे हैं "क्या करें, काम ही ऐसा है?" दरअसल यहां हमने ध्यान नहीं रखा था. अब से हम ध्यान रख कर काम करना है. पहले हमारा फोकस काम पर था, अब हमारा फोकस हमारी मन की स्थिति पर पर होगा कि यह कैसी है. हमें अपने कार्य क्षेत्र को 'क्रोध-वर्जित क्षेत्र (नो एंगर ज़ोन) बनाना है. ऐसा क्षेत्र जहां कोई भी किसी को भी गुस्सा ना कर सके. ना आप अपने जूनियर को, ना जूनियर उसके जूनियर को, ना कोई क्लाइंट को. जब आपके कार्य क्षेत्र पर लिखा होगा 'क्रोध-वर्जित क्षेत्र' तो कोई किसी पर गुस्सा नहीं करेगा. ऐसा करने से अगर गुस्सा आ भी जाए तो भी हमारा उसे करने का मन नहीं करेगा
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अगर किसी का साइलेंस होता है या कोई बोल नहीं सकता है, हमें तो बोलना आता है लेकिन हम भी इशारों से बोलना शुरू कर देते हैं. इससे साइलेंस के वाइब्रेशन सामने वाले पर असर करते हैं. अगर हमारे कार्य क्षेत्र पर क्रोध-वर्जित क्षेत्र होगा तो यह चिड़चिड़ापन, आवेश जो हमारे सहकर्मियों, बॉस, क्लाइंट्स में जो है, वो भी नहीं रहेगा. कुछ साल पहले, धूम्रपान की हर जगह अनुमति थी, फिर एक दौर आया, हर जगह हर बोर्ड पर लगाया जाने लगा 'धूम्रपान वर्जित क्षेत्र'. कितने लोग बच गए, पैसिव और एक्टिव स्मोकर्स दोनों बच गए. इसी प्रकार जब 'नो एंगर जोन' बनाएंगे, तो जो गुस्सा कर रहे हैं, वो भी बच जायेंगे और और जो नहीं कर रहे हैं वो तो हम बच जाएंगे.
अगर हम गुस्से को हटा देते हैं तो डर अपने आप हट जाता है. अगर आप गुस्सा करते हैं तो आपके आस-पास वाले आपसे डरेंगे कि ना जाने कब आप गुस्सा हो जाएँ। अगर हम अपने आस पास वाले आपसे डरते ही रहेंगे कि आप ना जाने कब गुस्सा कर दें. और यही एनर्जी मैं अपने प्रोफेशन में लेकर जाती हूँ तो क्या मैं उसके साथ न्याय कर पाऊंगी? अतः अब हमें अपने कार्य क्षेत्र को नो एंगर ज़ोन बनाना ही है
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Anger Management: अपने आस-पास एंगर जोन बनाएं, बीके शिवानी से लें गुस्सा कम करने की टिप्स