भारत ने पाकिस्तान में कई आतंकवादी ठिकानों पर हवाई हमले किये. इसमें भारतीय सेना ने पाकिस्तान में 4 और पीओके में 5 स्थानों को निशाना बनाया. जिसमें कई आतंकवादी मारे गये. भारत ने यह हमला पहलगाम में हुए हमले का बदला लेने के लिए किया. इसे ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया है.
यह ऑपरेशन सेना की तीनों शाखाओं अर्थात् थलसेना, वायुसेना और नौसेना द्वारा संयुक्त रूप से किया गया. ऑपरेशन सिन्दूर को अंजाम देने के लिए एलएमएस ड्रोन का इस्तेमाल किया गया. इन्हें आत्मघाती या कामिकेज़ ड्रोन कहा जाता है, जो छिपकर अपने लक्ष्य को नष्ट कर सकते हैं. तो आइये जानते हैं एलएमएस ड्रोन क्या है.
वह LMS ड्रोन कौन सा है जो पाकिस्तान को तबाह कर देगा?
LMS ड्रोन का मतलब है लो कॉस्ट मिनिएचर स्वार्म ड्रोन या लोइटरिंग म्यूनिशन सिस्टम (Low Cost Miniature Swarm Drone or Loitering Munition System). यह एक प्रकार का सशस्त्र ड्रोन है. भारत ने हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ 'ऑपरेशन सिंदूर' में आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करने के लिए इसका इस्तेमाल किया था. यह ड्रोन अपनी उत्कृष्ट तकनीक और क्षमताओं के लिए जाना जाता है.
LMS ड्रोन: इसे 'आत्मघाती ड्रोन' कहा जाता है
LMS ड्रोन लम्बे समय तक हवा में उड़ सकते हैं. ये ड्रोन अपने लक्ष्य का पता लगा सकते हैं और एक बार उसे ढूंढ लेने के बाद, विस्फोटकों से लैस होकर उस पर हमला कर देते हैं. इसीलिए इसे 'आत्मघाती ड्रोन' भी कहा जाता है. ये ड्रोन आतंकवादी ठिकानों, हथियार डिपो, रडार प्रणालियों या अन्य लक्ष्यों को नष्ट करने में सक्षम हैं.
यह कैसे काम करता है?
ये ड्रोन झुंड में काम करते हैं, जहां कई ड्रोन एक साथ हमला करते हैं. स्वार्म प्रौद्योगिकी दुश्मन की वायु रक्षा प्रणालियों को भेदने में भी प्रभावी है. यह ड्रोन एक साथ कई कोणों से लक्ष्यों पर हमला कर सकता है, जिससे यह रडार एंटेना, हथियार प्रणालियों या कमांड सेंटर जैसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों को भेद सकता है.
डीआरडीओ ने इसे विकसित किया है
इस ड्रोन को भारत ने डीआरडीओ और न्यूस्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी जैसी निजी कंपनियों के सहयोग से विकसित किया है. इनकी लागत पारंपरिक मिसाइलों (जैसे कि हार्पून मिसाइल, जिसमें 488 पाउंड का वारहेड होता है) की तुलना में बहुत कम है. यह ड्रोन उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरा, थर्मल इमेजिंग और जीपीएस-आधारित नेविगेशन सिस्टम से लैस है. कुछ मॉडल एआई और मशीन लर्निंग का उपयोग करते हैं, जो निर्णय लेने में मदद करता है. ये ड्रोन खुफिया जानकारी एकत्र करने, लक्ष्यों पर नज़र रखने और सटीक हमले करने में सक्षम हैं. ऑपरेशन सिंदूर में एनटीआरओ (राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन) ने आतंकवादियों पर नज़र रखने के लिए इस ड्रोन को डेटा उपलब्ध कराया था. कुछ ड्रोनों की गति 50 मील प्रति घंटे तक सीमित होती है.
ये ड्रोन आकार में छोटे हैं.
LMS या आत्मघाती ड्रोन का प्रयोग पहली बार 1980 के दशक में विस्फोटक ले जाने के लिए किया गया था. इसका उपयोग शत्रु वायु रक्षा (SEAD) के दमन के रूप में किया गया था. 1990 के दशक में कई सेनाओं ने इन आत्मघाती ड्रोनों का उपयोग करना शुरू कर दिया. 2000 के दशक के प्रारंभ में इन आत्मघाती ड्रोनों का प्रयोग काफी बढ़ गया. अब इन ड्रोनों का उपयोग लंबी दूरी के हमलों में भी किया जा रहा है. इस ड्रोन का आकार इतना छोटा है कि इसे आसानी से कहीं भी स्थापित किया जा सकता है.
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'एलएमएस ड्रोन'
ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने किया 'एलएमएस ड्रोन' का यूज, ये आत्मघाती ड्रोन लक्ष्य ढूंढकर करता है हमला