डीएनए हिंदी : नामीबिया से भारत में लाए जा रहे  8 चीतों की ख़बर से देशभर में उत्साह का माहौल है. कल प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर ये चीते मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में छोड़े जाएंगे.  भारत की पूरी संस्कृति में बड़ी बिल्लियों मसलन शेर, चीता और बाघ को ख़ास स्थान हासिल है.  आंकड़ों के मुताबिक़ भारत में साल 1947 में आखिरी बार किसी चीते को देखा गया था. भारत सरकार ने साल 1952 में देश में चीतों को विलुप्त प्राणियों की लिस्ट में डाल दिया था. हालांकि देश में चीते (Cheetah) विलुप्त हो चुके थे पर दक्षिण भारत में हर साल एक उत्सव मनाया जाता था जिसमें चीते और शेरों की भीड़ उमड़ती थी. केरल का पुलिकली उत्सव बेहद मशहूर नृत्योत्सव है जिसमें लोग शेर और चीते के रंग-रूप में नज़र आते हैं. 

क्या होता है Cheetah डांस वाला उत्सव पुलिकली
ओणम के चौथे दिन नालाम ओणम या फिर विशाखम मनाया जाता है. इस दिन विशाल उत्सव होता है और इस डांस में भाग लेने वाले लोग शेर और चीते के वेश में पहुंचते हैं. इस रंग में रंगे लोग  उडुक्कु और थकिल वाद्ययंत्रों की धुन पर डांस करते हैं. इस वजह से ही इस उत्सव का नाम पुलिकली यानी शेर का नाच कहा जाता है. यह केरल के थ्रिसूर ज़िले का लोक नृत्य है. माना जाता है कि इस नृत्य की प्रेरणा का स्रोत शेर का शिकार है. 

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Cheetah/Tiger Dance of Kerala : मर्दों का डांस माना जाता था इसे 
पुलिकली डांस को अमूमन पुरुषों  द्वारा परफॉर्म किया जाता है. 2016 में पहली बार तीन महिलाओं वाली 51 सदस्यीय टीम ने पुलिकली में भाग लिया था. इस नृत्य में भागीदारों के पूरे शरीर पर रंग की कई परतें चढ़ाई जाती हैं. यह पूरी प्रक्रिया 5-7 घंटे का समय  लेती है. कुछ लोग शेर की तरह नज़र आते हैं तो कुछ चीते की तरह. 

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Puli Kali Dance of Kerala in which people participate in Sher Cheetah getup Cheetah arrives in India
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जानें केरल के इस चीता-शेर वाले डांस के बारे में 
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Hindi
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Puli Kali Dance
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गायब हो गए थे देश से चीते पर केरल के इस जिले में हर साल आते थे नजर, जानिए क्या था माजरा